अयोध्या पर फैसले से पहले सतर्कता, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक समेत 10 को जिला छोड़ने का नोटिस
खास बातें
- फैसला आने से पहले पुलिस-प्रशासन तैयारियों में जुटी
- दस बवालियों को जिला छोड़कर जाने का नोटिस
- अयोध्या प्रकरण में फैसला आने वाले दिन दिखाई दिए तो की जाएगी गिरफ्तारी
- पुलिस की तरफ से जारी किया गया नोटिस, नरोरा और हिंडन पर लगे कैमरे
- सेना और पुलिस-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने की संयुक्त बैठक
अयोध्या प्रकरण पर फैसला आने से पहले पुलिस-प्रशासन तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। पुलिस की तरफ से सुरक्षा के मद्देनजर एक पूर्व विधायक और एक पूर्व मंत्री समेत दस बवालियों को जिला छोड़कर जाने का नोटिस भेजा गया है। चेतावनी दी गई है कि यदि फैसले वाले दिन ये लोग मेरठ में दिखाई दिए तो उनकी तुरंत गिरफ्तारी होगी।
वहीं, सुरक्षा के लिहाज से जिले को आठ सेक्टरों और 31 जोन में बांटा गया है। 163 संवेदनशील प्वाइंट बनाए गए हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार जिले में 1250 पुलिसकर्मी, पांच कंपनी पीएसी और एक कंपनी आरएएफ तैनात की गई है। 200 अतिरिक्त पुलिसकर्मी मांगे गए है। बुलंदशहर के नरोरा और हिंडन नदी पर कैमरे लगाए गए हैं, ताकि बवालियों पर नजर रखी जाए।
जिन बवालियों को चिह्नित करने के साथ ही नोटिस जारी किए गए हैं, यदि अयोध्या प्रकरण में फैसला आने वाले दिन ये दस लोग मेरठ में दिखाई दिए तो पुलिस उनको तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेजेगी। हालांकि अधिकारियों ने इन दस लोगों के नाम नहीं बताए हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि पूर्व विधायक योगेश वर्मा और पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी के अलावा ऐसे कई बवालियों को चिह्नित किया गया है, जिन पर पूर्व में संगीन धाराओं में केस दर्ज हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए साइबर सेल, सर्विलांस और क्राइम ब्रांच टीम को लगाया गया है।
भेजे हैं नोटिस
कानून व्यवस्था बिगड़ी तो सेना संभालेगी कमान
सिविल और सैन्य प्रशासन के बीच यह बैठक कमिश्नर अनीता सी. मेश्राम और पश्चिमी यूपी के जीओसी पीएस साईं की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में मुख्य रुप से अयोध्या प्रकरण को लेकर सुरक्षा संबंधी, कानून व्यवस्था, अतिक्रमण, यातायात प्रबंधन व आर्मी क्लीनिक्स आदि प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की गई।
कमिश्नर और आईजी रेंज आलोक सिंह ने सैन्य अधिकारियों को सभी बिंदुओं पर जिला प्रशासन की ओर से सहयोग करने के लिए आश्वस्त किया। वहीं, पश्चिमी यूपी के जीओसी ने भी आश्वासन दिया कि सैन्य प्रशासन द्वारा आवश्यक सहयोग दिया जाएगा। तय हुआ कि बेहतर समन्वय और तालमेल बनाए रखने के लिए सेना और जिला प्रशासन की ऐसी बैठकें नियमित तौर पर होती रहेंगी।