जम्मू-कश्मीर में व्यभिचार को अपराध बताने वाला कानून असांविधानिक : सुप्रीम कोर्ट

जम्मू-कश्मीर में व्यभिचार को अपराध बताने वाला कानून असांविधानिक : सुप्रीम कोर्ट

खास बातें

  • अब जम्मू-कश्मीर में भी विवाहित स्त्री या पुरुष के किसी अन्य से संबंध बनाने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकेगा।
  • शीर्ष अदालत ने आरपीसी के प्रावधान को निरस्त करने का आदेश पिछले साल 27 सितंबर को दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लागू रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) के उस प्रावधान को असांविधानिक घोषित कर दिया है, जिसमें व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखा गया था।

इसके चलते अब जम्मू-कश्मीर में भी विवाहित स्त्री या पुरुष के किसी अन्य से संबंध बनाने पर उसे दंडित नहीं किया जा सकेगा। बता दें कि अनुच्छेद-370 के तहत मिले विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर में अभी तक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के बजाय आरपीसी के प्रावधानों से ही कानून व व्यवस्था संभाली जाती रही है।

शीर्ष अदालत ने आरपीसी के प्रावधान को निरस्त करने का आदेश पिछले साल 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ही 5 सदस्यीय संविधान पीठ की तरफ से सुनाए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए दिया। संविधान पीठ ने अपने फैसले में आईपीसी की ब्रिटिश कालीन धारा-497 को खारिज कर दिया था, जिसके तहत परस्त्रीगमन (व्यभिचार) को अपराध की श्रेणी में माना जाता था।

जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने 2 अगस्त को सुनाए अपने फैसले में कहा, आरपीसी की धारा 497 को पूरी तरह से असांविधानिक घोषित किया जाता है। यह धारा भारतीय संविधान के खंड-3 का उल्लंघन करती है। इसी के साथ पीठ ने एक सेवारत सैन्य अधिकारी के खिलाफ व्यभिचारी संबंध रखने के आरोप में चल रही आपराधिक कार्रवाई को भी खारिज कर दिया।

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