शोभित विश्वविद्यालय में हुआ कवि सम्मलेन का आयोजन

शोभित विश्वविद्यालय में हुआ कवि सम्मलेन का आयोजन

गंगोह: शिक्षक दिवस पर शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में ‘शोभित विश्वविद्यालय एवं द पाएट्री जंक्शन’ के सयुंक्त तत्वावधान में जे॰पी॰ माथुर सभागार में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर देश-भर से आये हुए विभिन्न विधाओ के कवियों ने अपने कविता वाचन से श्रोताओ का मन मोह लिया।

इस अवसर पर यूनिवर्सिटी हेरीटेज रिसर्च सेंटर विरासत की वेबसाईट का भी शुभारम्भ किया गया। शोभित विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस को आदर्श दिवस के रूप मे मनाता है। शोभित विश्वविद्यालय के चांसलर श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने कहा कि काव्य हमारी प्राचीनतम परम्परा है। विश्वविद्यालय के प्रांगण में मौजूद विद्यार्थी अवश्य ही कविताओं से प्रेरित होकर अपने मार्ग को प्रशस्त करेंगे।

कवि सम्मेलन का शुभारम्भ देवी सरस्वती की वंदना के साथ किया गया। इसके उपरांत चांसलर श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने यूनिवर्सिटी हेरीटेज रिसर्च सेंटर विरासत की वेबसाईट का शुभारम्भ किया। विरासत के कोर्डिनेटर राजीव उपाध्याय यायावर ने विरासत के उद्देश्य को विस्तारपूर्वक समझाया। शिक्षक दिवस एवं आदर्श दिवस के उपलक्ष में आयोजित कवि सम्मेलन में सहारनपुर के सुप्रसिद्ध कवि राजेंद्र राजन ने सस्वर गीत का पाठ कर सभी का मन मोह लिया। वीर रस का युवा कवि मोहित संगम ने अपनी वीर रस की प्रस्तुति से सभागार में तालियो की गडगडाहट से कोलाहलपूर्ण  वातावरण उत्पन कर दिया। उन्होंने कहा-

‘‘दुनिया गर मूरत है, तो हम उसके निर्माता है।

बाकि होगें देश यहाॅ, लेकिन भारत तो माता है।।

इसी कडी को आगे बढाते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहर सुल्तानपुर से आये हुए खालिद सुल्तानपुरी कुछ हास्य की कविताऐ सुनाकर उपस्थित श्रोतागण को आनंदित किया। उन्होने अपनी कविताओ का सिलसिला कुछ यू आगे बढाया-

‘‘कहा बूढे ने एक बूढे से तो सुनकर मजा आया।

कि फिर से हो गयी है वो सास क्या किया जाये।।

कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए पवन शर्मा जी ने भगवान श्रीकृष्ण की भूमि से आयी, श्रृंगार रस की कवियत्री गीता सिंह गीत जी को आमंन्त्रित किया गीत जी ने अपने श्रंृगार रस से ओत-प्रोत कविता का पाठन किया। श्रंृगार के साथ-साथ उन्होनें इसमें देशभक्ति का भी मिश्रण किया। उन्होनें कुछ इस तरह अपने श्रृंगार के भावों को व्यक्त किया-

‘‘कभी लगती पुरातन सी, कभी लगती नवेली है।

कभी ये अजनबी लगती, कभी लगती सहेली है।।

देवों की भूमि उत्तराखण्ड़ के नैनीताल से आये हुए मोहन मुन्तजिर ने भी मातृत्व प्रेम पर आधारित कविता सुनाकर लोगो को बरबस ही आत्मक्षुब्ध हो जाने के लिए विवश कर दिया। उन्होनें अपनी कविता के माध्यम से प्रेम की दिशा क्या होनी चाहिए, यह बताने का बहुत ही सफल और रोचक प्रयास किया। देखिए उनके शब्दो को-

‘‘प्रेम करो धरती से और आजाद बनो अशफाक बनो।

लैलाओ के चक्कर में मजनू बनने से क्या होगा।।

देश की राजधानी दिल्ली से आयी सरिता जैन जी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों पर कविता के माध्यम से शानदार कटाक्ष कियाः- उन्होनें कुछ इस तरह अपने उदगार व्यक्त कियेः-

‘‘ है साथ मेरी माॅ की दुआओ का सिलसिला।

यानी मेरी वजूद हिफाजत में आ गया।।

सहारनपुर से आये बिलाल सहारनपुरी ने कुछ शानदार कटाक्षपूर्ण शायरियो के साथ एक भावपूर्ण कविता का पाठ किया और कुछ सारगर्भित सन्देश देने की सार्थक कोशिश  की। उन्होने अपनी बात कुछ इस तरह व्यक्त की-

‘‘ जिसको तुमने जल चढाया शिव के चरणों में जनाब।

हम उसी गंगा के पानी से बजू करते रहे।।

जनाब अमजद अजीम ने अपनी भावनाओं को कुछ इस तरह व्यक्त कियाः-

‘‘तुम्हारे अब्बा की मुर्गे जैसी जो टागें है।

इन्हे गुलेल बना दूॅ अगर बुरा न लगें।।

इस शुभ अवसर पर संस्था के कुलपति डाॅ॰ डी॰ के॰ कोशिक, ने इस भव्य आयोजन के लिए पूरे भारतवर्ष से आये हुए कवियो का धन्यवाद किया। और इस कार्यक्रम के संयोजक राजीव उपाध्याय यायावर जी को बहुत-बहुत बधाई एवं धन्यवाद दिया। कुलपति महोदय ने कहा कि ये सब यायावर जी के प्रयासो से सम्भव हुआ। उन्होने अपने सतत प्रयासो से इस कार्यक्रम को सफल बनाया आर्दश दिवस के अवसर पर सभी शिक्षको को शिक्षक दिवस की बधाई दी। इस अवसर पर संस्था के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेनद्र जी द्वारा सभी आमंत्रित कवियो को विश्वविद्यालय की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मनित किया गया।

इस अवसर पर संस्था के प्रति कुलपति डा॰ रजित सिंह, कुलसचिव डा॰ महिपाल, केयर टेकर सूफी जहीर अख्तर जी, महामण्डलेशवर मार्तण्डपूरी जी, जसवीर सिंह, डा॰ प्रंशात, शोएब हुसैन, कुलदीप कुमार, डाॅ॰ जितेन्द्र राणा, अनिल जोशी आदि उपस्थित रहे।

 

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