अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार गिर रहे भारतीय बासमती के दाम, पेस्टीसाइड का इस्तेमाल बना बड़ा कारण

अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार गिर रहे भारतीय बासमती के दाम, पेस्टीसाइड का इस्तेमाल बना बड़ा कारण

कभी हाथोंहाथ लिए जाने वाले भारतीय बासमती के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार गिर रहे हैं। पिछले तीन साल में दाम 20 प्रतिशत तक गिर चुके हैं। मुख्य कारण फसल में पेस्टीसाइड के बढ़ते प्रयोग पर अंतरराष्ट्रीय सख्ती है। एक्सपोर्टर घबराए हुए हैं। उन्होंने ईरान में पांच माह से 1500 करोड़ रुपये फंसने पर निर्यात से हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं। अगर सरकार ने जल्द कदम न उठाए तो किसानों को बड़ा नुकसान होगा।

देश में बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (बीईडीएफ) का एकमात्र सेंटर मोदीपुरम में है। यहीं से ही बासमती निर्यात किया जाता है। आलू के दामों में पिट रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को बासमती से जो उम्मीद लगी थी, वह भी अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है। दरअसल विदेश में पेस्टीसाइड वाले बासमती की मांग कम होती जा रही है। नियम लगातार कड़े हो रहे हैं। पिछले साल तो बासमती में पेस्टीसाइड का ज्यादा प्रयोग मिलने पर इसे लेने से इंकार कर दिया गया था।

देश में सबसे ज्यादा बासमती का उत्पादन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के किसान करते हैं। इन परिस्थितियों में किसानों के सामने जहां आर्थिक संकट खड़ा हो रहा है तो निर्यातक भी घबरा रहे हैं कि यदि वह किसान से फसल लेंगे और उसमें पेस्टीसाइड के प्रयोग से विदेशों में अड़ंगा लग जाएगा तो और ज्यादा परेशानी होगी।
पिछले 3 वर्षों में लगातार गिरते दाम
प्रजाति दाम
1121
2017 3300 – 3500
2018 3300 – 4000
2019 2400 – 3000

1509
2017 2700 – 3000
2018 2500 – 3100
2019 2400 – 2900

पीबी-वन
2017 2800 – 3300
2018 2700 – 3500
2019 2000 – 2500

सात राज्यों का बासमती का क्षेत्रफल
हरियाणा – 9 लाख हेक्टेयर
पंजाब – 5.50 लाख हेक्टेयर
उत्तर प्रदेश – 5 लाख हेक्टेयर
जम्मू कश्मीर – 45 हजार हेक्टेयर
उत्तराखंड – 40 हजार हेक्टेयर
हिमाचल प्रदेश – 10 हजार हेक्टेयर
दिल्ली – 5 हजार हेक्टेयर

दाम कम होने के प्रमुख कारण
– ईरान में फंसा हुआ है भारतीय निर्यातकों का पैसा
– किसानों द्वारा पेस्टीसाइड का अधिक प्रयोग करना
– विदेशों में पेस्टीसाइड को लेकर किए जा रहे कड़े नियम
– निर्यातकों के पास धन की कमी, बैंकों ने कड़े किए नियम

यह गिरावट सही नहीं
बासमती के दाम पिछले तीन साल में इस बार सबसे कम हैं। पेस्टीसाइड, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़े किए जा रहे नियम व विदेशों में फंसा निर्यातकों का धन इसका मुख्य कारण है। दामों में कमी के चलते किसानों की अर्थिक स्थिति कमजोर होगी। पिछले वर्षों की अपेक्षा 15-20 प्रतिशत दामों में गिरावट है, जो सहीं नहीं है। – डॉ. रितेश शर्मा, प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक, बीईडीएफ

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