राष्ट्र धर्म का पालन करने से ही विश्व मे शान्ति संभव: सच्चिदानंद

राष्ट्र धर्म का पालन करने से ही विश्व मे शान्ति संभव: सच्चिदानंद
  • श्रीराम कथा के दौरान कथा वाचक को माला पहनाते रितेश बंसल एडवोकेट

देवबंद [24CN]: श्री गीता भवन में चल रही परम् पावन श्री राम कथा में गुरुदेव स्वामी सुशील गिरि सच्चिदानंद के शिष्य व कथा वाचक प.देवेश कृष्ण सच्चिदानंद जी ने भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वसुधैव कुटुम्बक की अवधारण पर राष्ट्र धर्म का पालन करने से ही विश्व मे शान्ति संभव है। हिन्दू संस्कृति एक मानवीय दिव्य दैविक मानवीय संस्कृति है। जिसने विश्व को मानवता का रास्ता दिखाया और इस संस्कृति को मिटाने के लिये विश्व व्यापी षडयंत्र चलाया जा रहा है। लेकिन उन षडयंत्र कारियो को यह समझ लेना चाहिए कि हजारों बार इस संस्कृति पर आक्रमण हुए पर यह सनातन मानवीय संस्कृति को कोई मिटा न सका।

व्यास पीठ से कथा वाचक प.देवेश कृष्ण सच्चिदानंद ने युवाओं से आहवान करते हुए कहा कि वे स्वामी विवेकानंद, राम, कृष्ण के आदर्शों पर चल कर पाश्चात्य संस्कृति का बहिष्कार कर भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर मानवीय समाज की रचना की पहल करें। उन्होंने कहा की विश्व मे अनेक देश है और उतनी ही विशिष्टम हर एक देश की अपनी खास संस्कृति है और पहचान है। प्रत्येक राष्ट्र की पहचान उसकी संस्कृति से होती है। परन्तु जब प्राचीनतम संस्कृति का कही भी जिक्र होता है तो वहां भारत की संस्कृति में नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। क्योंकि इस महान संस्कृति ने विश्व को मानवता का रास्ता दिखाया। भारत की  प्राचीनतम संस्कृति बल्कि विश्व की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है।

उन्होंने कहा कि सोने की चिड़िया के नाम से जिस देश को गौरवान्वित किया गया है उसके संस्कृति में विशेष सामाजिक और नैतिक मूल्यों का मिश्रण है जिसका लोहा सम्पूर्ण विश्व ने माना जिसे सम्पूर्ण विश्व ने एक स्वर में सर्वश्रेष्ठ संस्कृति के रूप में स्वीकार किया।

श्री राम कथा में मानव निर्माण अभियान के केंद्रीय प्रचारक स्वामी सुशील गिरी सच्चिदानंद जी महाराज उपस्थित रहे, साथ ही संचालन सुधीर गर्ग द्वारा किया गया। कथा में मुख्य रूप से रितेश बंसल एडवोकेट, अजय सैनी, सुशील सैनी, प्रमोद बंसल, मा सोमनाथ गुप्ता, अखिल शर्मा, दीपक प्रमार, बृजेश, अनिता, डॉ. कांता त्यागी, मंजू शर्मा, दुर्गेश, पल्लवी वर्मा, आदि श्राद्धलु उपस्थित रहे।

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