पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस को दिया समर्थन, गृह मंत्री अमित शाह ने जताई कड़ी आपत्ति

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में पाकिस्तान एक बार फिर बड़ा मुद्दा बन गया है। हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) को खुला समर्थन दिया है। आसिफ ने कहा कि अगर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता में आती हैं, तो जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को फिर से लागू किया जा सकता है। इस बयान के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर तीखा हमला बोलते हुए दोनों पार्टियों पर पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ है, और अगर ये दोनों पार्टियां सत्ता में आती हैं, तो कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली संभव हो सकती है। उनका कहना है कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सत्ता में आने से इस मुद्दे को फिर से उठाया जा सकता है और कश्मीर में हालात बदल सकते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस को आर्टिकल 370 पर समर्थन देना कांग्रेस के असली चेहरे को फिर से उजागर करता है। इससे साफ है कि कांग्रेस और पाकिस्तान का एजेंडा एक है। पिछले कुछ सालों से राहुल गांधी ने हर बार भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े होकर देशवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।”
अमित शाह ने आगे कहा कि चाहे एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने का मामला हो या भारतीय सेना पर सवाल उठाने का, कांग्रेस और पाकिस्तान के सुर हमेशा एक जैसे रहे हैं। शाह ने कहा, “कांग्रेस और पाकिस्तान यह भूल रहे हैं कि मोदी सरकार केंद्र में है। इसलिए न तो अनुच्छेद 370 वापस आएगा और न ही कश्मीर में आतंकवाद को कोई जगह मिलेगी।”
गृह मंत्री ने कांग्रेस पर पाकिस्तान के समर्थन में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास देशविरोधी शक्तियों के साथ खड़े होने का रहा है, लेकिन मोदी सरकार के नेतृत्व में कश्मीर के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 370, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था, को 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा हटा दिया गया था। तब से यह एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है, खासकर जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय राजनीति में।