‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की राह में बड़ी चुनौतियाँ, सिर्फ कैबिनेट की मंजूरी पर्याप्त नहीं

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की राह में बड़ी चुनौतियाँ, सिर्फ कैबिनेट की मंजूरी पर्याप्त नहीं

नई दिल्ली। सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी “एक देश, एक चुनाव” (वन नेशन, वन इलेक्शन) योजना को एक कदम आगे बढ़ाते हुए, बुधवार को एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। इस योजना का उद्देश्य लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराना है। गृह मंत्री अमित शाह ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह देश में चुनाव सुधार की दिशा में ऐतिहासिक पहल साबित होगी। हालांकि, इस योजना के खिलाफ विपक्षी दलों का कहना है कि इसे लागू करना व्यावहारिक नहीं है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री की प्रतिक्रिया

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के इस फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि “वन नेशन, वन इलेक्शन” की सिफारिशों पर आगे की कार्यवाही के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए व्यापक चर्चा करेगी और देशभर में विभिन्न मंचों पर इसे लेकर बातचीत शुरू करेगी। वैष्णव ने कहा कि “अगले कुछ महीनों में इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास होगा।”

विपक्षी दलों के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए वैष्णव ने कहा कि “विपक्षी दलों पर भी जनता के समर्थन का दबाव होगा, क्योंकि इस योजना के पक्ष में 80 प्रतिशत से अधिक प्रतिक्रियाएँ सकारात्मक रही हैं।”

सिफारिशों का क्रियान्वयन कब?

पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि इस योजना को कब तक लागू किया जा सकता है, वैष्णव ने सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन यह संकेत दिया कि सरकार इसे अपने मौजूदा कार्यकाल में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जब सभी विचार-विमर्श पूरे हो जाएंगे, तब इसे लागू किया जाएगा और इसके लिए संसद में विधेयक लाया जाएगा।

जदयू ने किया स्वागत, कांग्रेस का विरोध

राजग का एक प्रमुख घटक, जनता दल (यूनाइटेड), ने इस फैसले का स्वागत किया है। जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि “वन नेशन, वन इलेक्शन” से देश को बार-बार चुनाव कराने से राहत मिलेगी, जिससे सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा और नीतिगत निरंतरता बनी रहेगी।

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस योजना को अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि “यह काम नहीं करेगी। भाजपा असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह योजना सामने ला रही है।”

समिति की सिफारिशें और भविष्य की संभावनाएं

“वन नेशन, वन इलेक्शन” के तहत गठित समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव पहले चरण में एक साथ कराने और बाद में स्थानीय निकाय चुनावों को इसके तहत लाने की सिफारिश की है। इसके साथ ही समिति ने एक साझा मतदाता सूची और पहचान पत्र बनाने की भी बात कही है, जो निर्वाचन प्रक्रिया को और सरल बनाएगा। इस योजना को पूरी तरह से लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी।

2029 तक हो सकता है क्रियान्वयन

सूत्रों के मुताबिक, 2029 तक “वन नेशन, वन इलेक्शन” को लागू किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए संविधान में संशोधन और विभिन्न राज्यों की सहमति आवश्यक होगी। चुनाव आयोग और विधि आयोग द्वारा इस पर रिपोर्ट देने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

इतिहास में पहली बार कब हुए थे एक साथ चुनाव?

भारत में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव हुए थे, लेकिन इसके बाद चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे। वर्तमान में अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभाओं के कार्यकाल भी अलग-अलग समय पर समाप्त होते हैं, जिससे इस योजना को लागू करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।

“वन नेशन, वन इलेक्शन” को लेकर यह स्पष्ट है कि इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए कई संवैधानिक और व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।


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