केरल: जानें कौन हैं नन मरियम थ्रेसिया, क्यों मिल रही ‘संत’ की उपाधि
- केरल में लड़कियों की शिक्षा के लिए ‘भगीरथ’ प्रयास करने वाली नन मरियम को उनके निधन के 93 साल बाद आज ‘संत’ की उपाधि
- 26 अप्रैल, 1876 को राज्य के त्रिशूर जिले में जन्मीं सिस्टर मरियम 50 साल की उम्र में 8 जून 1926 को दुनिया को छोड़ गई थीं
- अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भी मरियम थ्रेसिया का किया था जिक्र, बोले- उन्हें संत की उपाधि हमारे लिए गर्व की बात
तिरुवनंतरपुरम
केरल में लड़कियों की शिक्षा और उनके सशक्तीकरण के लिए ‘भगीरथ’ प्रयास करने वाली नन मरियम थ्रेसिया को उनके निधन के 93 साल बाद आज ‘संत’ की उपाधि दी जाएगी। पोप फ्रांसिस वेटिकन में नन मरियम थ्रेसिया को संत की उपाधि देने की घोषणा करेंगे। 26 अप्रैल, 1876 को राज्य के त्रिशूर जिले में जन्मीं सिस्टर मरियम 50 साल की उम्र में 8 जून 1926 को दुनिया को छोड़ गई थीं। आइए जानते हैं कि कौन हैं सिस्टर मरियम थ्रेसिया और क्यों मिल रही है ‘संत’ की उपाधि…।
सीरियन-मालाबार चर्च से ताल्लुक रखने वाली सिस्टर मरियम के पिता का नाम मनकिडियान तोमा और मां का नाम तांडा था। सिस्टर मरियम की दो अन्य बहनें थीं। सिस्टर मरियम ने होली फैमिली नाम की एक धर्मसभा की स्थापना की थी। वेटिकन सिटी में मौजूद एक दस्तावेज के मुताबिक, उन्होंने कई स्कूल, हॉस्टल, अनाथालय और कॉन्वेंट बनवाए और संचालित किए। सिस्टर मरियम को लड़कियों की शिक्षा और उनके सशक्तीकरण के लिए किए गए कामों के लिए भी याद किया जाता है। 1914 में उनके द्वारा स्थापित इस संस्था में अब करीब 2000 नन हैं।
बचपन से सिस्टर मरियम के दोस्त बुलाते थे ‘संत’
पोप फ्रांसिस सिस्टर मरियम के अलावा चार अन्य लोगों को ‘संत’ की उपाधि देंगे। बेहद अमीर परिवार में जन्मी सिस्टर मरियम ने मात्र 8 साल की उम्र में खुद को ईश्वर को समर्पित कर दिया और व्रत रहने लगीं तथा प्रार्थना करने लगी थीं। बचपन से उन्हें उनके दोस्त ‘संत’ बुलाते थे। सिस्टर मरियम ने केरल के गरीबों और कुष्ठ रोग तथा चेचक से पीड़ित लोगों की खूब सेवा की।
पोप जॉन पाल द्वितीय ने 9 अप्रैल 200 को सिस्टर मरियम को ‘धन्य’ घोषित किया था। होली फैमिली के डॉक्टर विनय कहते हैं कि हमारा मुख्य करिश्मा स्कूल, हॉस्पिटल और परामर्श केंद्र हैं। हम परिवारों को पवित्र नाजरेथ के परिवार की तरह से बनाना चाहते हैं। सिस्टर मरियम थ्रेसिया की सेवा की वजह से अक्सर उनकी तुलना मदर टेरेसा से की जाती रही है। अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भी मरियम थ्रेसिया का जिक्र करते हुए कहा था कि हमारे लिए गर्व की बात है कि उन्हें संत की उपाधि दी जाएगी।
मरियम के ‘चमत्कार’ को पोप ने माना
होली फेमली के मुताबिक नौ महीने से पहले जन्मा एक बच्चा जिंदगी और मौत से जूझ रहा था। डॉक्टरों ने एक विशेष वेंटिलेटर के जरिए एक खास दवा देने के लिए कहा था जो उस समय हॉस्पिटल में मौजूद नहीं था। तीसरे दिन बच्चा सांस लेने के दौरान हांफने लगा। डॉक्टरों के होश उड़ गए और सबने बच्चे के बचने की आस छोड़ दी। बच्चे के माता-पिता और दादा-दादी सिस्टर मरियम के भक्त थे।
बच्चे की दादी ने उसके ऊपर एक धार्मिक चिन्ह रखकर सभी लोगों से सिस्टर मरियम की प्रार्थन करने के लिए कहा। ऐसा करने के 20 से 30 मिनट के अंदर ही बच्चे के स्वास्थ्य में ‘बड़ा बदलाव’ आ गया। यह घटना 9 अप्रैल, 2009 को हुई थी। इसी दिन सिस्टर मरियम को रोम में ‘धन्य’ घोषित किया गया था। 22 मार्च 2018 को वेटिकन सिस्टर मरियम के इस ‘चमत्कार’ को स्वीकार किया और अब उन्हें पोप ‘संत’ की उपाधि देने जा रहे हैं।
केरल में उत्सव सा माहौल
केरल की नन मरियम थ्रेसिया को पोप फ्रांसिस रविवार को वेटिकन सिटी में संत की उपाधि देंगे। इस मौके के इंतजार में केरल के कैथॉलिक चर्चों में खासा उत्साह दिख रहा है। उनसे पहले सूबे के तीन लोगों को संत की उपाधि से नवाजा जा चुका है। थ्रेसिया को उनके निधन के 93 साल बाद यह उपाधि दी जा रही है। वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वेयर में दोपहर 1:30 बजे पोप फ्रांसिस नन मरियम थ्रेसिया को संत की उपाधि दिए जाने की घोषणा करेंगे।
13 अक्टूबर को पोप फ्रांसिस सिस्टर मरियम थ्रेसिया को संत घोषित करेंगे