जम्मू-कश्मीरः यूटी बनते ही स्टेटहुड बन गया बड़ा सियासी मुद्दा, आंदोलन का आह्वान

अनुच्छेद 370 और 35-ए हटने के बाद केंद्रशासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर में अब स्टेट हुड बड़ा मुद्दा बन गया है। विपक्ष के प्रमुख दलों ने एक स्वर में जनता से स्टेट हुड के लिए आंदोलन को तैयार रहने की अपील कर दी है। कांग्रेस, पीडीपी और नेकां ने यूटी बनाए जाने के फैसले को एकतरफा करार देते हुए एलान किया है कि वे जनता के बीच जाकर लोगों को संघर्ष के लिए तैयार करेंगे।

भावी चुनावों में राज्य का दर्जा तमाम सियासी दलों के घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल हो सकता है। भाजपा को छोड़ अन्य राजनीतिक दल हालात सामान्य होते ही इसी मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी में हैं।

पीडीपी के वरिष्ठ नेता वेद महाजन का कहना है कि विशेष दर्जे वाले राज्य जम्मू-कश्मीर को विभाजित कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटना यहां के लोगों को प्रताड़ित करने जैसा है। विधायिका की शक्तियों पर कैंची चला दी गई है। हर तरह और हर क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर को बड़ा नुकसान हुआ है।

जम्मू कश्मीर के तमाम लोगों को स्टेट हुड के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। नेशनल कांफ्रेंस के संभागीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा के अनुसार  जम्मू-कश्मीर के लोगों ने कभी भी केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग नहीं की। जम्मू-कश्मीर की पहचान को कायम रखने के लिए डोगरों ने कुर्बानियां दी हैं। उनकी इस पहचान को आज मिटाया जा रहा है।

ऐसे में जम्मू के राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के साथ गण्यमान्य नागरिकों, कानूनविदों, बुद्धिजीवियों, व्यापारियों, उद्योगपतियों  सहित तमाम वर्गों को एकजुट होना पड़ेगा।

जम्मू-कश्मीर को मिलेगा राज्य का दर्जा : रैना
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना के अनुसार पूरे देश में एक संविधान का सरदार पटेल का सपना मोदी सरकार और भाजपा ने पूरा करने का काम किया है। आतंकवादियों और अलगाववादियों की कमर तोड़ने का काम किया गया है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सरदार पटेल का सपना पूरा हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्पष्ट कर चुके हैं कि जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य होने के बाद इसे राज्य का दर्जा लौटा दिया जाएगा।


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