जरूरी है ये जानकारी : सभी अस्पतालों में एंटीबायोटिक दवा एरिथ्रोमाइसिन मरीजों को देने पर लगी रोक
यूपी मेडिकल सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएमएससीएल) ने मरीजों को एंटीबायोटिक दवा एरिथ्रोमाइसिन देने पर रोक लगा दी है। यह दवा गुणवत्ता में मानक के अनुरूप नहीं पाई गई है। प्रदेश भर के अस्पतालों में बैच नं. जीपीटी005 की दवा का वितरण रोकने और अस्पतालों से वापस मंगाकर अलग रखने के निर्देश दिए गए हैं।
यूपीएमएससीएल के अधिकारियों के अनुसार रुड़की (उत्तराखंड) की कंपनी मेसर्स ओमेगा फार्मा से विभिन्न अस्पतालों में एरिथ्रोमाइसिन स्टीयरेट टैबलेट 250 मिलीग्राम बैच नं. जीपीटी 005 की आपूर्ति 13 नवंबर 2018 को की गई थी। मुजफ्फरनगर के स्वामी कल्याण देव जिला अस्पताल में भी इस दवा की आपूर्ति हुई थी।
केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) गाजियाबाद के ड्रग इंस्पेक्टर ने 4 फरवरी 2019 को इस दवा का नमूना अस्पताल से लिया था। इसकी जांच सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेट्री (सीडीएल) कोलकाता से कराई गई। जांच में एरिथ्रोमाइसिन गुणवत्ता में मानक के अनुसार नहीं पाई गई। इस पर मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल के सीएमएस ने यूपीएमएससीएल को दवा की जांच रिपोर्ट भेजकर पूरे मामले की जानकारी दी।
इसके बाद कॉर्पोरेशन के प्रबंधक गुणवत्ता नियंत्रक ने सभी अस्पतालों के सीएमएस और जिलों के सीएमओ को एरिथ्रोमाइसिन स्टीयरेट टैबलेट 250 मिलीग्राम बैच नंबर जीपीटी005 को न लेने और इसका उपयोग तुरंत रोकने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा गया है कि कितनी दवा वापस ली गई है, उसे डीवीडीएमएस पोर्टल पर अपडेट करें। इससे पता चल सकेगा कि कितनी दवा का वितरण हुआ है और कितनी वापस आई।
गुणवत्ता के मानक पर लगातार फेल हो रहीं दवाएं
इसके वितरण भी पर रोक लगाई गई थी। इसी तरह चंडीगढ़ के मेसर्स एरियॉन हेल्थ केयर से आपूर्ति की गई बैच नं. एसबीएल 565 मॉक्सीफ्लॉक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड 0.5 आई ड्रॉप को वापस मंगाया था। सितंबर में पंचकुला हरियाणा की बनी अलायंस बायोटेक लिमिटेड के बैच नं. एएजी-095 आयरन सुक्रोज इंजेक्शन को वापस लेने के भी निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
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