हां या ना में अटकी पांचवें दौर की वार्ता: कृषि सुधार के तीनों कानूनों को समाप्त करने की मांग पर अड़े किसान नेता

हां या ना में अटकी पांचवें दौर की वार्ता: कृषि सुधार के तीनों कानूनों को समाप्त करने की मांग पर अड़े किसान नेता

नई दिल्ली। किसान संगठनों और सरकार के बीच शनिवार को पांचवें दौर की वार्ता ‘हां या ना’ पर अटककर बेनतीजा समाप्त हो गई। पिछली वार्ता में बनी सहमति के बिंदुओं को भी किसान नेताओं ने नकार दिया। वे कृषि सुधार के तीनों कानूनों को समाप्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। वार्ता शुरू होने के साथ ही किसानों का रुख कड़ा हो गया था। वे कानूनों में किए जाने वाले संशोधनों को सुनने को तैयार नहीं थे। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी समेत अन्य सभी मुद्दों पर कुछ ठोस समाधान के लिए अगली वार्ता नौ दिसंबर को होगी। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, ‘बैठक में किसान यूनियनों की तरफ से कुछ विषयों पर स्पष्टता से सुझाव नहीं आ सके।’

सरकार के रुख से नाराज किसान नेताओं ने किया मौन धारण 

विज्ञान भवन में पांच घंटे चली लंबी बैठक में एक घंटे तक सरकार के रुख से नाराज किसान नेताओं ने मौन धारण कर लिया। उन्होंने अपने नाम की पट्टिकाओं पर ‘हां या ना’ लिखकर अपने तेवर बदल लिए। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों पर सरकार सिर्फ ‘हां या ना’ में जवाब दे। किसान प्रतिनिधि शनिवार को भी अपने साथ पानी, चाय और खाना लेकर आए थे। उन्होंने सरकारी सुविधाओं का बायकाट किया। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘सरकार वार्ता को लंबा खींचकर थकाना चाहती है, लेकिन किसान कहां थकने वाले हैं।’ किसान संगठन आठ दिसंबर को भारत बंद के अपने फैसले पर अडिग हैं। सरकार चाहती थी कि छठवें दौर की बैठक सात दिसंबर को हो, लेकिन किसानों ने इसे नौ दिसंबर के लिए आगे बढ़ा दिया।

किसान यूनियन आंदोलन छोड़कर चर्चा के रास्ते पर आएं

वार्ता के बारे में कृषि मंत्री तोमर ने बताया, ‘सरकार का इरादा एपीएमसी (मंडी) प्रणाली को किसी भी तरह प्रभावित करने का नहीं है। उसे सशक्त करने को सरकार तैयार है। इसमें किसी को गलतफहमी है तो सरकार उसके समाधान को तैयार है। कुछ विषयों के लिए स्पष्टता से सुझाव मांगे गए लेकिन, यह नहीं हो सका।’ नौ दिसंबर की बैठक में सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। रास्ता तलाश लिया जाएगा, लेकिन कृषि मंत्री तोमर को इस बात का मलाल जरूर था कि बैठक के दौरान किसान नेताओं की ओर से उपयुक्त सुझाव नहीं आए। तोमर ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए विभिन्न योजनाओं का विस्तार से ब्यौरा भी दिया। उन्होंने किसान यूनियनों से आग्रह किया कि आंदोलन छोड़कर चर्चा के रास्ते पर आएं, जिससे समाधान तलाशा जा सके।

सरकार सभी चिंताओं के समाधान को तैयार

गुरुवार को हुई चर्चा में कुछ बिंदु चिन्हित किए गए थे, जिसका ब्योरा कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने दिया। उस पर चर्चा शुरू होने के साथ ही किसानों ने उसे नकार दिया और तीनों कानूनों को समाप्त करने और एमएसपी की गारंटी वाले कानून की मांग पर अड़ गए। बैठक में कृषि मंत्री तोमर के साथ रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने भी हिस्सा लिया। सभी मंत्रियों की ओर से कहा गया, ‘किसानों की सभी चिंताओं का समाधान करने के लिए सरकार तैयार है। पंजाब के हितों के प्रति सरकार सचेत है। वहां के किसानों की भावनाएं किसी भी तरह आहत नहीं होंगी।’

कृषि मंत्री ने जताई थी सकारात्मक वार्ता की उम्मीद

शनिवार को विज्ञान भवन में वार्ता की शुरुआत में कृषि मंत्री तोमर ने हिस्सा ले रहे 40 किसान नेताओं के समक्ष उम्मीद जताई कि वार्ता में कृषि कानूनों के प्रावधानों पर एतराज वाले बिंदुओं पर सकारात्मक बातचीत होगी। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 10 दिनों से डेरा डाले आंदोलनकारी किसानों से ढाई बजे शुरू हुई वार्ता शाम साढ़े सात बजे तक चली।

वार्ता से पहले मंत्रियों ने पीएम को दी जानकारी

किसान प्रतिनिधियों से वार्ता के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, नरेंद्र तोमर और पीयूष गोयल ने मुलाकात की। इस दौरान प्रधानमंत्री को किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार की ओर से रखे जाने वाले प्रस्तावों की जानकारी दी गई। सूत्रों के मुताबिक मोदी ने वार्ता में हिस्सा लेने वाले मंत्रियों से कहा कि वे इस समस्या का समाधान कराएं।

ट्रांसपोर्ट कांग्रेस भी करेगी आंदोलन

मानसून सत्र के दौरान सरकार ने कृषि उपज की बिक्री में बिचौलियों की भूमिका सीमित करने के लिए तीन प्रमुख कानून पारित कराए थे। इससे किसान अपनी उपज देश के किसी भी हिस्से में बेच सकते हैं, लेकिन इन्हीं प्रावधानों को लेकर पंजाब के किसान आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन के दिल्ली पहुंचने के साथ ही आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस और टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन ने भी उनका समर्थन करते हुए आंदोलन करने का फैसला किया है।

कृषि मंत्री ने की बुजुर्गों-बच्चों को वापस भेजने की अपील 

कृषि मंत्री ने किसान संगठनों से अपील की कि ठंड के कारण वे बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को आंदोलन स्थल से वापस घर भेज दें, लेकिन किसान संगठनों ने उनकी अपील ठुकरा दी

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