स्पेशल ट्रीटमेंट: सजा के बीच कभी सगाई तो कभी झगड़ा सुलझाने जेल से छुट्टी लेते रहे हैं चौटाला
- हरियाणा शिक्षक भर्ती घोटाला में अजय चौटाला और ओमप्रकाश चौटाला को मिली है 10 साल की सजा
- बीते 4 सालों में दोनों पिता-पुत्र कई बार फरलो और परोल की अर्जी देकर जेल से बाहर आते रहे हैं
- अजय चौटाला को अपने बेटे के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए 14 दिन की फरलो दी गई है
चंडीगढ़
हरियाणा शिक्षक भर्ती घोटाला में 10 साल की सजा पाने वाले अजय चौटाला और उनके पिता ओमप्रकाश चौटाला बीते 4 सालों में कई बार फरलो और परोल की अर्जी देकर जेल से बाहर आते रहे हैं। अजय चौटाला को हाल ही में अपने बेटे के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए 14 दिन की फरलो दी गई है। हालांकि अजय चौटाला और उनके पिता ओमप्रकाश चौटाला इससे पहले भी चुनाव प्रचार और पारिवारिक वजहों से कोर्ट में फरलो और परोल की अर्जी देकर जेल से छुट्टी ले चुके हैं।
ओमप्रकाश चौटाला 2018 में 9 हफ्ते और 2019 में 9 हफ्ते की छुट्टियों पर जेल से बाहर आ चुके हैं। वहीं अजय चौटाला को इस साल अप्रैल से अब तक 3 हफ्तों की छुट्टी मिल चुकी है। अजय चौटाला को इससे पहले लोकसभा चुनाव और सिरसा में एक परीक्षा के लिए अदालत से छुट्टी दी गई थी।
अजय को बेटे की शादी के लिए अवकाश
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 28 अगस्त 2018 को अजय चौटाला को उनके छोटे बेटे की शादी के लिए 1 महीने की परोल दी थी। खास बात यह कि कोर्ट ने 2016 से 2018 के बीच अजय चौटाला को 9 बार फरलो और परोल के आधार पर रिहा किया और यह भी कहा कि इस दौरान किसी भी छुट्टी का चौटाला ने गलत इस्तेमाल नहीं किया है। अजय चौटाला और उनके पिता ओमप्रकाश चौटाला को शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद 2013 में 10 साल के कारावास की सजा दी गई थी।
पत्नी की मौत के बाद ओपी चौटाला को छुटटी
ओमप्रकाश चौटाला ने इस साल अप्रैल महीने में पारिवारिक विवाद के निपटारे एवं अपनी बीमार पत्नी की देखभाल के लिए छुट्टी की अर्जी दी थी। इसके बाद चौटाला को 16 जुलाई को उनके पोते की सगाई और फिर 12 अगस्त को पत्नी स्नेहलता की मृत्यु के बाद छुट्टी दी गई थी। हालांकि बाद में चौटाला की अर्जी पर उन्हें पत्नी की मौत के बाद की रस्मों को पूरा करने के लिए कुल सात हफ्ते तक जेल से बाहर रहने का आदेश दिया गया था। इस अवधि में अंतिम तीन हफ्ते तक ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा में अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी किए थे। हालांकि इसके बावजूद हाल के चुनाव में आईएनएलडी को कोई खास सफलता नहीं मिल सकी।