झारखंड में हार से सबक लेकर एनडीए के सहयोगियों को साधने में जुटी भाजपा

झारखंड में हार से सबक लेकर एनडीए के सहयोगियों को साधने में जुटी भाजपा

विधानसभा चुनाव में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन करने में विफल रही भाजपा अब सहयोगियों का सुध ले कर राजग की सेहत सुधारने की तैयारी में है। झारखंड में जदयू-लोजपा को सीटें देने से मना करने के बाद दिल्ली में भाजपा का इन दो दलों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन इसी आशय का संकेत है।

इसी कड़ी में पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव बाद सहयोगी को राजग का संयोजक बनाएगी। हालांकि जदयू-लोजपा से समझौते को इसी साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल झारखंड विधानसभा चुनाव में सीटों पर सहमति नहीं बनने के कारण आजसू ने भाजपा से नाता तोड़ा तो पार्टी ने जदयू और लोजपा को तवज्जो नहीं दी।

चुनाव परिणाम प्रतिकूल आने के बाद चर्चा थी कि अगर भाजपा सहयोगियों को महत्व देती तो सकारात्मक परिणाम आ सकते थे। इससे पहले हरियाणा में मनमाफिक नतीजे नहीं आने और महाराष्ट्र में सत्ता गंवाने के बाद सहयोगी दलों ने भाजपा पर हमला बोला था। लोजपा के चिराग पासवान ने राजग में समन्वय नहीं होने का आरोप लगाते हुए तत्काल संयोजक नियुक्त करने की मांग की थी।

सहयोगियों की चिंता क्यों?
दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद राजग से शिवसेना और आजसू ने दूरी बनाई है। जबकि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ असम गण परिषद के बाद शिरोमणि अकाली दल ने सीधा मोर्चा खोला है। मुस्लिम वोट छिटकने के डर से लोजपा और जदयू भी असहज हैं। लोजपा ने सीएए पर सही संदेश नहीं देने तो जदयू ने इस कानून पर और चर्चा कराने की मांग की है। जाहिर है कि सहयोगियों के रुख से भाजपा चिंतित है।

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