अयोध्या भूमि विवाद : सबको सुबह का इंतजार, 10.30 बजे सर्वोच्च न्यायालय सुनाएगा ऐतिहासिक निर्णय
खास बातें
- सुबह 10:30 बजे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ पढ़ेगी फैसला
- 40 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्तूबर को रखा था फैसला सुरक्षित
- गोगोई ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ प्रदेश की सुरक्षा पर की थी चर्चा
- यूपी के सभी स्कूल-कॉलेज सोमवार तक बंद रहेंगे, सुरक्षा व्यवस्था और चाक चौबंद
सुप्रीम कोर्ट आज अयोध्या भूमि विवाद मामले में बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाएगा। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ सुबह 10:30 बजे इस मामले में फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 40 दिन तक चली मैराथन सुनवाई के दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने 16 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
केशवानंद भारती मामले में रिकॉर्ड 68 दिन तक चली सुनवाई के बाद अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई हुई थी। वहीं, फैसले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था और चाक चौबंद कर दी गई है। इस बीच, अयोध्या मामले पर फैसले के मद्देनजर यूपी सरकार ने सोमवार तक सभी स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं।
ये जज सुनाएंगे फैसला
अयोध्या विवाद में मामले की सुनवाई करने वाली संवैधानिक बेंच में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। इन्हीं जजों की पीठ शनिवार को फैसला सुनाएगी।
फैसले से पहले पांच जजों की मौजूदगी में एक घंटे तक बैठक
मुलाकात के बाद मुख्य सचिव ने कहा, हम सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। सुरक्षा-व्यवस्था की लगातार समीक्षा की जा रही है। दोनों अफसर सीजेआई गोगोई के चैंबर में करीब एक घंटे तक रहे। बताया जा रहा है कि बैठक में अयोध्या केस की सुनवाई कर रही सीजेआई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय सांविधानिक पीठ के बाकी चार सदस्य जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल थे। दरअसल, यह मामला बेहद संवेदनशील होने की वजह से फैसला देने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट सुरक्षा इंतजाम को लेकर आश्वस्त होना चाहता है।
सभी राज्यों को अलर्ट जारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हुई थीं 14 अपील
साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जगह को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गई थीं।
225 गांव संवेदनशील/अतिसंवदेनशील चिह्नित
अयोध्या के फैसले को लेकर प्रशासन ने गांवों में भी सुरक्षा बलों की तैनाती की है। अयोध्या जिले के 225 से ज्यादा गांव और मोहल्ले संवेदनशील/अति संवेदनशील चिह्नित किए गए हैं। इन गांवों में पहले अप्रिय स्थिति बन चुकी है या इसकी आशंका रहती है। संवेदनशील स्थलों पर स्थित 95 से ज्यादा धर्मस्थलों को भी सुरक्षा के दायरे में लिया जाएगा।
फैसला आते ही प्रदेश में इंटरनेट बंद कराने के संकेत
उन्होंने कहा, सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने वाले 673 लोग निगरानी में हैं। 10 नवंबर को बारावफात और 11 से 13 को कार्तिक पूर्णिमा के लिए भी पुलिस को हाई अलर्ट किया गया है। 31 जिलों में अयोध्या, आगरा, मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बागपत, बुलंदशहर, रामपुर, मैनपुरी भी शामिल हैं।
16000 वॉलियंटर्स तैनात
अयोध्या पुलिस ने सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार या किसी भी संप्रदाय के खिलाफ भड़काऊ कंटेंट के प्रसार पर नजर रखने के लिए जिले के 1600 स्थानों पर 16 हजार वॉलंटियर तैनात किए हैं। गड़बड़ी रोकने के लिए 3,000 लोगों को चिह्नित करके उनकी निगरानी की जा रही है।
78 रेलवे स्टेशनों पर बढ़ी सुरक्षा
हर तरह से बरती जा रही है सतर्कता
अयोध्या पर आने वाले फैसले से पहले, हर तरह से सतर्कता बरती जा रही है। अयोध्या में 20 अस्थाई जेल बनाई गई हैं और 300 स्कूलों को सुरक्षा बलों के लिए रिजर्व किया गया है। इसके अलावा 30 बम निरोधक दस्ते भी तैनात किए गए हैं।