तुमने अंदर क्या पहना है? छात्राओं से पूछता था प्रिंसिपल, CM योगी को खून से लिखा पत्र, प्रिंसिपल की बताई करतूत

तुमने अंदर क्या पहना है? छात्राओं से पूछता था प्रिंसिपल, CM योगी को खून से लिखा पत्र, प्रिंसिपल की बताई करतूत

Ghaziabad News: गाजियाबाद में स्कूल के प्राचार्य को देखते ही छात्राओं की हालत खराब हो जाती थी। वे परेशान हो जाती थीं। छात्राओं के बीच पहुंच कर वह उनके कपड़ों को छूता था। प्राचार्य कक्ष में बुलाकर अभद्र सवाल करता थ। सीएम योगी से छात्राओं ने शिकायत की तो उसकी गिरफ्तारी हो गई है।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्कूल के प्रिंसिपल को छात्राओं की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। प्रिंसिपल की करतूतों को याद कर छात्राएं अभी भी सिहर जाती हैं। वे बताती हैं कि जैसे ही प्रिंसिपल हमारी कक्षाओं में आते थे, हमलोग पीछे हट जाते थे। स्कूल की कक्षाओं में प्रिंसिपल कभी बच्चियों के बीच जाकर बैठ जाते थे। कभी शिक्षकों की मेज पर बैठते। वह हमेशा हमारे कपड़ों को लेकर बात करते थे। वह कपड़े को ठीक करने की बात कर इधर-उधर छूते थे। छात्राओं का कहना था कि वह गलत तरीके से छूते थे। विरोध करने पर वे कहते कि यह हमारे लिए उसका प्यार है। स्कूल की छात्राएं अभी भी मानसिक ट्रॉमा के दौर से गुजर रही हैं। कई छात्राओं ने प्रिंसिपल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया। छात्राओं का कहना है कि प्रिंसिपल की हरकतें बढ़ गई तो हमारे पास शिकायत करने के अलावा कोई चारा नहीं था। हमने स्थानीय पुलिस के समक्ष शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद हमने मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का निर्णय लिया। अपने खून से हमने स्कूल की घटनाओं से सीएम योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया। इसके बाद मंगलवार को आरोपी प्रिंसिपल की गिरफ्तारी हुई।

यौन उत्पीड़न का लगाया आरोप

सरकारी सहायता प्राप्त और छठी से दसवीं कक्षा की पढ़ाई करने वाले को-एड स्कूल के 51 वर्षीय प्रिंसिपल पर छात्राओं ने गंभीर आरोप लगाया है। प्रिंसिपल को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। इसके कुछ घंटों के बाद छात्रा ने कक्षा में अपने बुरे सपनों के बारे में बात की। पुलिस की यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से लिखे एक पत्र के बाद हुई है। इस पत्र में बच्चों ने पुलिस पर निष्क्रियता का भी आरोप लगाया था। पिछले सप्ताह अभिभावकों ने प्रिंसिपल के साथ इस मुद्दे पर बात की। इस दौरान बात इतनी बिगड़ी की उसके साथ मारपीट की गई। दरअसल, छात्राओं ने अपने अभिभावकों को प्रिंसिपल की करतूत से अवगत कराया था। अभिभावक स्थानीय पार्षद के साथ स्कूल में आए थे। पार्षद का कहना है कि हमारे पास प्रिंसिपल के खिलाफ 50 शिकायतें हैं।

छात्राओं की दास्तान सिहराने वाली है

स्कूल की एक छात्रा ने अपने और अन्य छात्राओं के अनुभव को साझा किया। उसकी दास्तान सिहराने वाली है। छात्रा ने बताया कि वह स्कूल में वर्ष 2021 में एडमिशन ली थी। उसके बाद से ही प्रिंसिपल की करतूत को देख रही हूं। छात्रा ने कहा कि प्रिंसिपल लड़कियों को अपने केबिन में बुलाते थे। उनके कपड़ों पर टिप्पणी करते थे। वे अक्सर पूछते थे कि तुमने अंदर क्या पहना है? छात्रा ने कहा कि एक दिन मुझे भी उन्होंने अपने केबिन में बुलाया और कुछ आपत्तिजनक सवाल पूछे। वे अक्सर लड़कियों की ड्रेस ठीक करने के बहाने अनुचित तरीके से थपथपाते थे।

21 अगस्त को टूटा छात्राओं का सब्र

छात्राएं प्रिंसिपल की करतूतों को बर्दाश्त कर रही थी। वे उसके जुल्म को लगातार सह रही थीं। लेकिन, 21 अगस्त को उनके सब्र का बांध टूट गया। लड़कियों की खामोशी टूटी तो प्रिंसिपल की काली करतूत सबके सामने आ गई। दरअसल, 21 अगस्त को प्रिंसिपल ने एक छात्रा को कक्षा खत्म होने के बाद रुकने को कहा। अपने केबिन में बुलाया। कुछ देर बाद वह भागती हुई प्रिंसिपल कार्यालय से निकली। वह रोए जा रही थी। उसके साथ गलत हुआ था। मंगलवार को छात्रा की मां ने कहा कि हमने जब उससे पूछा तो सिसकते हुए बेटी बोली, प्रिंसिपल ने उसकी शर्ट के बटन को खोला और उसे छुआ। कई छात्राओं की मां ने कहा कि बाद में हमें चला कि प्रिंसिपल ने मेरी बेटी के भी ऐसी हरकतें की।

21 अगस्त को हुई घटना के बाद छात्राएं आक्रोशित हो गईं। वह एक शिक्षक के पास पहुंची। शिकायत की। शिक्षक ने उनसे कहा कि अगर प्रिंसिपल दोबारा ऐसा करे तो शिकायत करें। हालांकि, छात्राएं इस बार किसी प्रकार के भरोसे पर विश्वास नहीं करना चाह रही थी। लड़कियों ने कहा कि हमने सोचा, अगर हम अब शिकायत नहीं करेंगे तो अन्य छात्राओं को इस मानसिक आघात से गुजरना होगा। छात्राओं ने कहा कि पहले हमने जब शिकायत और विरोध किया था तो प्रिंसिपल ने हमें परीक्षा में फेल करने और नाम काटने की धमकी दी।

अभिभावकों ने पहले नहीं दिया था ध्यान

प्रिंसिपल की करतूत पर अभिभावकों ने पहले ध्यान नहीं दिया था। एक छात्रा के अभिभावक ने कहा कि मेरी बेटी ने पहले मुझे प्रिंसिपल के बैड टच के बारे में बताया था। यह मेरी गलती थी कि मैंने उसे गंभीरता से नहीं लिया। मुझे लगा कि वह छात्रों की परवाह करता है। मुझे अब उस पर विश्वास न करने का अफसोस है। बच्चियों के पेरेंट्स ने 22 अगस्त को पार्षद परमोश यादव से संपर्क किया। पार्षद ने कई लड़कियों से व्यक्तिगत रूप से बात की। पार्षद ने कहा कि उन्हें 50 से अधिक लड़कियों से शिकायत पत्र मिले हैं उन्होंने इन शिकायतों को पुलिस के साथ साझा किया है। बाद में प्रिंसिपल के खिलाफ आईपीसी की धारा 354ए (छेड़छाड़) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सीएम को लिखे पत्र में खोली पोल

छात्राओं ने आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। इसमें पुलिस की निष्क्रियता का भी जिक्र किया। छात्राओं ने अपनी दुर्दशा और पुलिस की असंवेदनशीलता के बारे में पत्र के जरिए सीएम को बताया। छात्राओं ने पत्र में आरोप लगाया कि जब वे शिकायत दर्ज कराने गईं तो एसीपी सलोनी अग्रवाल ने लड़कियों और उनके माता-पिता को डांटा। उन्हें चार घंटे तक पुलिस स्टेशन में इंतजार कराया। उन्होंने कहा कि अब तक प्रिंसिपल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पुलिस हमारे माता-पिता को धमकी देने के लिए हर दिन हमारे घर आती है। हमारे घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। स्कूल प्रबंधन ने हमें स्कूल आने से मना कर दिया है। हम आपसे मिलना चाहती हैं। अपनी आपबीती साझा करना चाहती हैं। हम केवल न्याय चाहती हैं। सीएम को पत्र मिलने के साथ ही एक्शन शुरू हो गया।

प्रिंसिपल को किया गया है गिरफ्तार

डीसीपी (ग्रामीण) विवेक यादव ने बताया कि प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया गया है। एफआईआर में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) अधिनियम की धाराएं जोड़ी गई हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस की निष्क्रियता के आरोप झूठे हैं। किसी भी पुलिस टीम ने छात्रों के घरों का दौरा नहीं किया है। उन्हें धमकी नहीं दी है। हालांकि, हम इस मामले पर भी गौर करेंगे। स्कूल प्रबंधन से जब इस मामले में संपर्क किया गया तो इस पर स्थिति साफ नहीं हो सकी। स्कूल के प्रिंसिपल की ओर से पिछले सप्ताह हमला करने के आरोप में 60 अभिभावकों, पार्षद और अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। प्रिंसिपल ने आरोपों से इनकार किया था। वह पार्षद पर प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई का आरोप लगाया।

प्रिंसिपल का कहना था कि पार्षद मुझे घेरने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि मैंने उनके परिचित एक बच्चे को एडमिशन देने से इनकार कर दिया था। उनकी उपस्थिति में 50 से अधिक लोग मेरे कार्यालय में घुस आए और मुझ पर हमला किया। अगस्त महीने से अंग्रेजी शिक्षक छुट्टी पर थे। उन्होंने कहा कि मैंने इन कक्षाओं के दौरान कुछ छात्रों को गलत उत्तर देने के लिए दंडित किया। उन्हें अनुशासन में रहने को कहा। लेकिन, मैंने कभी किसी को अनुचित तरीके से नहीं छुआ।

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