नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के दौरे को बीच में ही खत्म करके दुबई रवाना होने को मजबूर हुई। पांच मैचों की सीरीज का आखिरी मुकाबला 10 सितंबर से 14 सितंबर के बीच खेला जाना था लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए इसे रद करना पड़ा। बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली ने यह साफ किया है कि वह किसी भी खिलाड़ी के मर्जी के बिना उनको मैदान पर नहीं उतार सकते। कोरोना काल में किसी भी खिलाड़ी को खेलने के लिए एक हद तक ही मजबूर किया जा सकता है।

गांगुली ने कहा, ‘पिछले 18 महीनों में कोविड-19 के कारण सीरीज रद करने को प्राथमिकता दी गई। बीसीसीआइ ने पिछले साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपनी घरेलू सीरीज रद कर दी थी, जिससे हमें 40 से 50 मिलियन पाउंड (करीब 407 करोड़ से 509 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था।’

उन्होंने इसके साथ ही उम्मीद जताई कि भविष्य में ऐसे मामलों में ठोस चिकित्सा सलाह होगी, जिससे टीम के अंदर कोविड के मामले पाए जाने के बावजूद सीरीज जारी रखी जा सके। पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, ‘क्योंकि हम जानते हैं कि दर्शकों और टेलीविजन के दर्शकों के मामले में यह कितना नुकसानदायक है, विशेषकर जबकि इस तरह की रोमांचक सीरीज खेली जा रही हो। टेस्ट क्रिकेट बीसीसीआइ की पहली प्राथमिकता है।’

गांगुली ने कहा कि बीसीसीआइ को निराशा है कि इस मैच का आयोजन नहीं हो पाया। उन्होंने कहा, ‘इसका एकमात्र कारण कोविड-19 का प्रकोप और खिलाड़ियों की सुरक्षा थी। हम एक सीमा तक ही उन्हें (खिलाड़ियों को खेलने के लिए) मजबूर कर सकते हैं। महामारी इतनी बुरी है कि कोई भी एक निश्चित सीमा से आगे नहीं बढ़ सकता।’

गांगुली से पूछा गया कि क्या खेलने में असहज महसूस करने वाले सीनियर खिलाडि़यों को विश्राम देकर नई टीम उतारने पर विचार किया गया, तो उन्होंने नहीं में जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘नहीं, यह विकल्प नहीं था क्योंकि योगेश परमार (मैच से पहले पाजिटिव पाए गए जूनियर फिजियो) का सभी खिलाडि़यों से करीबी संपर्क था इसलिए यह निश्चित तौर पर चिंता का कारण था। यह ऐसा है जिस पर किसी का नियंत्रण नहीं है और खिलाडि़यों के साथ उनके परिवार भी थे।’