राममंदिर ट्रस्ट में ‘मुखिया’ बनने की लड़ाई तेज, अब निर्मोही अखाड़े के दावे से संतों में बढ़ी हलचल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी राममंदिर निर्माण में रोड़े खत्म नहीं हो रहे हैं। केंद्र सरकार अभी राममंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट का स्वरूप तय करने में जुटी है। इस बीच शीर्ष संत-धर्माचार्यों में ट्रस्ट का मुखिया बनने और शामिल होने की लड़ाई सतह पर आ गई है। श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के बाद निर्मोही अखाड़ा ने भी ट्रस्ट में न सिर्फ शामिल होने बल्कि अध्यक्ष या सचिव पद की मांग करके हलचल मचा दी है।
रामनगरी के संत-महंत दुविधा में हैं कि दोनों प्रमुख आश्रमों में किसका पक्ष लें और किसका नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को विराजमान रामलला के पक्ष में फैसला देते हुए केंद्र सरकार से मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या एक्ट 1993 के तहत राममंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट की योजना और शर्तें तय करने को कहा था। साथ ही मस्जिद के लिए सरकार से अयोध्या में ही प्रमुख जगह पर पांच एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के निर्देश दिए थे।
दोनों मामलों में सरकार विचार कर रही है, जिला प्रशासन से तमाम दस्तावेज भेच चुका है, अभी भी कई रिपोर्ट मांगी जा रही है। हालांकि ट्रस्ट का स्वरूप क्या होगा? इसे लेकर न पक्षकारों के पास कोई जानकारी है, न जिला प्रशासन के पास। सूत्र सिर्फ इतना बताते हैं कि मामला गृहमंत्रालय के बजाय अब पीएमओ देख रहा है। फिर भी यहां राममंदिर निर्माण के लिए तीन ट्रस्ट श्रीरामजन्मभूमि न्यास, श्रीरामजन्मभूमि रामालय न्यास और श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास में दावेदारी गरमाई हुई है।
निर्मोही अखाड़े ने रविवार को राममंदिर निर्माण के नए ट्रस्ट में सरकार से अध्यक्ष या सचिव बनने की मांग करके हलचल बढ़ा दी है। निर्मोही अखाड़े की ओर से सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय को इस आशय का प्रतिवेदन भेजा जाएगा। जबकि श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि हमारी अध्यक्षता में राममंदिर बनेगा, जिसको शामिल होना होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कुछ लोग ट्रस्ट में आ जाएंगे।
नया ट्रस्ट बनाने की कोई जरूरत नहीं है। इन दो बड़े मठों की लड़ाई में यहां का आम साधु-संत अब परेशान दिख रहा है।