कोरोना काल में गर्भवती अपनी सेहत का रखें खास ख्याल

- कोरोना काल में अतिरिक्त सावधानियां बरतने की जरूरत
सहारनपुर [24CN] । गर्भावस्था वह समय है जब महिला को सबसे ज्यादा देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है। यह सच है कि गर्भवती जो खाती है और जिस तरह की जीवनशैली का पालन करती है, उसका सीधा असर उसकी गर्भावस्था और होने वाले बच्चे पर पड़ता है, यह कहना है जिला अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ममता का। डॉ. ममता का कहना है कि कोविड 19 ने हर व्यक्ति के जीने का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है, देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसके कारण स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती जा रही है। गर्भवती महिलाओं को इसका खतरा अधिक रहता है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग इस वायरस से बचने का सबसे कारगर तरीका है।
डॉ. ममता का कहना है कि हर गर्भवती को समय-समय पर स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती है, लेकिन कोरोना के इस दौर में गर्भवती का घर से बाहर निकलना और अस्पताल जाना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में सरकार एवं विभाग द्वारा टीबी, रेडियो, अखबारों व अन्य माध्यमों से बतायी जा रही सावधानियों एवं सुझावों को ध्यान से सुनें और उनका पालन करें।
नियमित रूप से अपने हाथों की सफाई करें। आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी के अलावा अपने चिकित्सक से घर पर स्वच्छता के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। मौसमी फल, हरी सब्जी खासकर पत्तेदार, दूध, दही, गुड़ चना, दलिया व पोषाहार को अपने दैनिक भोजन में शामिल करें। यदि गर्भावस्था को लेकर किसी भी तरह की चिंता में है, तो फोन पर अपने क्षेत्र की आशा, एएनएम या प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं। हार्मोनल बदलावों के कारण गर्भवती के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। ऐसे में उनमें तनाव, डिप्रेशन, चिंता, गुस्सा, घबराहट, एकाग्रता की कमी आदि आम समस्याएं बन जाती हैं। इसलिए इस दौरान उन्हें अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है।
गर्भवती के लिए यह सेवाएं मुफ्त…..
परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डीएस पुंडीर ने बताया जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम व जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए सभी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह नि:शुल्क हैं। गर्भावस्था से लेकर शिशु जन्म और उसके बाद शिशु के एक वर्ष पूरा होने तक जच्चा-बच्चा के इलाज पर होने वाले खर्चों का भुगतान योजना के तहत किया जाता है। उन्होंने बताया गर्भवती महिलाओं, प्रसूताओं एवं एक वर्ष तक के बीमार शिशुओं को घर से अस्पताल, अस्पताल से घर के अलावा उच्च अस्पतालों में रेफर करने जैसी सभी स्थितियों के लिए 102 एम्बुलेंस सेवा बिल्कुल नि:शुल्क है। प्रसव के लिए अस्पताल आयीं सभी गर्भवती महिलाओं के लिए भर्ती रहने तक नाश्ता एवं दो समय के भोजन की व्यवस्था नि:शुल्क है। इसके अलावा योजना के तहत पंजीकृत गर्भवती को गर्वभावस्था से लेकर प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद में जरूरत पडऩे पर निरूशुल्क ब्लड की व्यवस्था का प्रावधान है। गृह आधारित शिशु की देखभाल कार्यक्रम (एचबीएनसी) के तहत जिले की 3046 आशा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रसव उपरांत माँ बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल के लिए फोन कॉल से नियमित फॉलोअप किया जाता है।
इस दौर में गर्भवती रखें यह सावधानियां…..
सोशल डिस्टेसिंग और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। गरारे करें, गरम पानी का भाप लें और गुनगुना पानी पिएं। पर्याप्त पोषण लें और आहार में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं। अस्पताल जायें तो सतर्क रहें और आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करें। दिन में दो घंटा व रात में सात से आठ घंटे की नींद लें। खाली समय में किताब पढ़ें या संगीत सुनें।