अयोध्या केस पर शनिवार को आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अयोध्या केस पर शनिवार को आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
  • अयोध्या विवाद मामले में कल सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अपना फैसला
  • अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक चली थी सुनवाई
  • चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में 5 सदस्यीय संविधान बेंच सुनाएगी फैसला
  • फैसले से पहले पूरे देश में सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है
  • सभी धर्मगुरुओं ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है

नई दिल्ली : अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को ऐतिहासिक फैसला देने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी सुनवाई हुई। लगातार 40 दिन संवैधानिक बेंच बैठी और मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। अब फैसले की घड़ी आ गई है। शनिवार को छुट्टी के दिन सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच बैठेगी और फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे फैसला सुनाएगी। इसको देखते हुए पूरे देश में सुरक्षा चाक चौबंद है। वहीं धर्मगुरुओं ने भी शांति बनाए रखने की अपील की है।

40 दिन तक चली थीं दलीलें
40 दिन हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने जोरदार और दमदार दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में सबसे लंबी सुनवाई केशवानंद भारती से सबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट में चली थी। तब 68 दिन सुनवाई चली थी। संवैधानिक मूल ढांचा आदि की व्याख्या तब संवैधानिक बेंच ने की थी। अबकी बार दूसरी सबसे लंबी सुनवाई हुई है।

5 सदस्यीय संविधान बेंच सुनाएगी फैसला
अयोध्या जमीन विवाद में मामले की सुनवाई करने वाली संवैधानिक बेंच में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा 4 अन्य जज हैं- जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर।

NBT

सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन तक चली थी सुनवाई
अयोध्या मामले में नियमित सुनवाई तय होने के बाद 40 दिनों तक हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। इस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लीजिए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को दी गई है चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं दायर की गईं थीं। शीर्ष अदालत ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। अब इन 14 अपीलों पर सुनवाई पूरी हो गई है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।


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