Masjid in Ayodhya: इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में शामिल नहीं होंगे सरकारी कर्मी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
लखनऊ । भगवान राम की नगरी अयोध्या में पांच एकड़ क्षेत्रफल में मस्जिद निर्माण के लिए गठित कमेटी में कोई भी सरकारी कर्मी शामिल नहीं होगा। देश की शीर्ष अदालत ने मस्जिद निर्माण के लिए गठित कमेटी इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में सरकार के नुमाइंदों को शामिल करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अयोध्या में मस्जिद के लिए बनी इस्लामिक फाउंडेशन में केंद्र या फिर राज्य सरकार का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा। अयोध्या में पांच एकड़ जमीन पर बन रही मस्जिद के इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में सरकारी प्रतिनिधि शामिल करने की मांग पर विचार से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया। इसके लिए दायर याचिका में मांग थी कि जिस तरह राम जन्मभूमि ट्रस्ट में सरकारी प्रतिनिधि हैं, वैसे ही मस्जिद के ट्रस्ट में भी होने चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज को कर दिया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड को राम मंदिर की जमीन के बदले मे अलग जमीन दी थी, जहां मस्जिद बनाने का आदेश दिया गया था। यह मस्जिद इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन बनाएगी। इसमें सभी सदस्य वकफ बोर्ड के सदस्य हैं।
अयोध्या में मस्जिद निर्माण से जुड़े इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के अध्यक्ष फारूकी ने कहा कि नई अवसंरचना बाबरी मस्जिद से बड़ी होगी। उन्होंने कहा कि हम अयोध्या में मस्जिद और अन्य प्रतिष्ठानों का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य कर रहे हैं। हम विश्वस्तरीय प्रतिष्ठान के निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की सलाह ले रहे हैं। फारूकी ने कहा यहां पर एक अस्पताल नि:संदेह प्रमुख केंद्र होगा। यह पैगंबर द्वारा बताई गई इस्लाम की सच्ची भावना के अनुरूप मानवता की सेवा करेगा।
मुस्लिम नहीं रोहित श्रीवास्तव ने दिया मस्जिद को पहला दान
अयोध्या में बनने वाली मस्जिद के लिए पहला दान देने वाला कोई मुस्लिम नहीं बल्कि दूसरे धर्म से आने वाले रोहित श्रीवास्तव हैं। रोहित श्रीवास्तव लखनऊ यूनिवॢसटी के लॉ डिपार्टमेंट के इम्प्लॉई हैं। जिन्होंने लखनऊ में इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के दफ्तर में जाकर 21 हजार रुपया का चेक दिया था। इस दौरान इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन और ट्रस्टी मोहम्मद राशीद मौजूद थे। अतहर हुसैन ने खुशी का इजहार करते हुए रोहित के इस कदम को गंगा जमुनी तहजीब का बेहतरीन उदहारण बताया।