‘प्रचार पर करोड़ों खर्च कर सकते हैं और रेल प्रोजेक्ट पर नहीं’, AAP को सुप्रीम कोर्ट ने फिर फटकारा
- RRTS क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए समर्पित देश का पहला मास रैपिड सिस्टम है। कोर्ट ने फंड न जारी करने को लेकर सख्त लहजे में ये तक कह दिया था कि अगर अगर फंड नहीं जारी किया गया तो दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर फंडिंग की जाएगी।
New Delhi : दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (RRTS) प्रोजेक्ट के लिए फंड न जारी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक बार फिर से फटकार लगाई है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सख्त लहजे में सवाल किया कि उनके पास प्रचार या विज्ञापन के बजट का प्रावधान है और रेल प्रोजेक्ट के लिए नहीं। बता दें कि पीएम मोदी ने बीते महीने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के 17 किलोमीटर के खंड का उद्घाटन किया था। ये क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए समर्पित देश का पहला मास रैपिड सिस्टम है।
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से सवाल किया कि आप विज्ञापन के लिए 500 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान कर सकते हैं लेकिन आप इस परियोजना के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान नहीं कर सकते? बता दें कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा सूचित किया गया था कि कुछ तबादले किए गए हैं। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। दिल्ली सरकार ने इस पर कहा है कि रैपिड रेल के लिए पिछले शुक्रवार को ही आंशिक भुगतान किया गया है।
पहले भी लगी थी फटकार
दिल्ली सरकार को रैपिड रेल के लिए फंड न जारी करने के लिए पहले भी फटकार लगाई गई थी। अदालत ने फंड न जारी करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार को 1 हफ्ते के भीतर पैसे जारी करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने सख्त लहजे में ये तक कह दिया था कि अगर अगर फंड नहीं जारी किया गया तो दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट पर रोक लगाकर फंडिंग की जाएगी।
क्या है RRTS?
RRTS को 180 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचकर सफर के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि इसकी परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा है। प्रधान मंत्री कार्यालय ने कहा था कि क्षेत्रीय विकास के लिए यह एक परिवर्तनकारी पहल है। RRTS को 15 मिनट में इंटरसिटी आवागमन के लिए हाई-स्पीड ट्रेनें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। जरुरत पड़ने पर ये रेल सेवा हर पांच मिनट के लेवल तक भी जा सकती है।