यूपी: निषाद राज के घर भिक्षा मांगने पहुुंच गए कथा वाचक मोरारी बापू, किया भोजन

यूपी: निषाद राज के घर भिक्षा मांगने पहुुंच गए कथा वाचक मोरारी बापू, किया भोजन

क्या इस भिक्षु को भोजन मिलेगा? यह सुनकर अपनी झोपड़ी से बाहर आए दिव्यांग मनोज निषाद और उनकी बेटी संयोगिता हतप्रभ रह गए। उनके द्वार भिक्षा मांगने कोई और नहीं बल्कि राम भक्त संत मोरारी बापू आए थे। पिता-पुत्री कुछ क्षण बापू को एकटक देखते रह गए, मुंह से कुछ न निकला। बापू ने प्रेम भरे स्वर में कहा कि भिक्षु को बैठने का स्थान मिलेगा क्या? यह सुनकर पिता-पुत्री मानो तंद्रा से जागे, मनोज ने प्रणाम करते हुए स्वागत किया और संयोगिता भाग कर जल्दी से चारपाई लाई और बापू के लिए आसन बिछाया।

शहर में राम कथा का वाचन करने आए संत मोरारी बापू सोमवार शाम छह बजे के बाद अचानक जंगल तिकोनिया नंबर तीन गांव पहुंचे। अपने चार पांच सहयोगियों के साथ कार गांव के बाहर छोड़ी और पैदल ही चल पड़े। दिव्यांग निषाद राज मनोज के घर के आगे रुके और भोजन की भिक्षा मांगी। अपने टूटे हुए घर में बापू को बैठाने के लिए मनोज निषाद, बेटी संयोगिता और सुमन सब कुछ सही करने में जुट गए।

संयोगिता ने जल्दी जल्दी आटा गूूंधा तो सुमन ने आलू काटे, मनोज निषाद बीच-बीच में बेटियों को साफ सफाई का निर्देश देते रहे। पराठे और आलू की सब्जी तैयार हुई तो मनोज निषाद ने खुद अपने हाथों से बापू को भोजन परोसा।

बापू भोजन के दौरान अपने साथ आए सहयोगियों को भी पराठे के टुकड़े और सब्जी प्रसाद के रूप में बांट रहे थे। मनोज अपने हाथ से बापू की थाली में पराठे परोसते गए। भोजन करने के बाद बापू ने दोनों बेटियों को कपड़े और दशहरा मनाने के लिए सौ-सौ रुपये दिए। संत मोरारी बापू ने बताया कि वह जहां भी जाते हैं, समाज के गरीब परिवार में अचानक पहुंच कर भोजन करते हैं, इससे उन्हें आत्मिक सुख प्राप्त होता है।

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