एमआई-172 हेलिकॉप्टर की मरम्मत में 1.85 करोड़ की हेराफेरी, अधिकारियों पर केस दर्ज

एमआई-172 हेलिकॉप्टर की मरम्मत में 1.85 करोड़ की हेराफेरी, अधिकारियों पर केस दर्ज

एमआई-172 हेलिकॉप्टर की मरम्मत में 1.85 करोड़ रुपये की हेराफेरी

  • सीबीआई ने पवनहंस के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया

हेलिकॉप्टर सेवा देने वाली निजी कंपनी पवनहंस के अधिकारियों पर फंड की हेराफेरी के मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया है। आरोप है कि एमआई-172 हेलिकॉप्टर की मरम्मत के लिए अधिकारियों ने 1.85 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है। ये रुपये रूसी कंपनी के खाते में जाने थे, लेकिन इसे किसी इंडोनेशियाई खाते में डाल दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक पवनहंस ने 20 मई, 2015 को रूसी कंपनी क्लिमोव जेएससी से तीन एमआई-172 हेलिकॉप्टर की सर्विस और मरम्मत का करार किया। करार नौ करोड़ रुपये का था। करार के मुताबिक पवनहंस को इसका 30 फीसदी अग्रिम भुगतान करना था। कंपनी की ओर से पवनहंस को बैंक के ब्योरे सहित इनवॉइस भेजा गया, लेकिन रुपये खाते में जमा नहीं कराए गए। कंपनी ने अगले साल रिमाइंडर भेजा।

सूत्रों के मुताबिक पवनहंस ने भुगतान इसलिए नहीं किया, क्योंकि इंजन नहीं भेजा गया था। पवनहंस ने 27 फरवरी 2016 को इंजन भेजा, जिसकी पावती भी रूसी कंपनी की ओर से भेजा गया। कंपनी के उसी ईमेल से अग्रिम भुगतान की 30 फीसदी राशि इंडोनेशिया के बैंक मंडी खाते में जमा करवाने को कहा गया। पवनहंस ने मेल के निर्देश के मुताबिक मार्च 2016 में 1.85 करोड़ का भुगतान कर दिया। बाद में पता चला कि कलिमोव ने वह मेल नहीं भेजा था।

रूसी कंपनी ने जांच में पाया कि इंडोनेशिया का वह बैंक खाता किसी बैगस सेतियावान के नाम पर है, कलिमोव के नाम पर नहीं। रूसी कंपनी ने अपनी सरकार के जरिये भारत सरकार को सूचित किया कि वह अपना बकाया वसूलने के लिए पवनहंस के खिलाफ कोर्ट जाएगी। उसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया और एजेंसी ने पवनहंस के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

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