बैंकों पर सेबी की सख्ती, सूचीबद्ध बैंकों को तुरंत करना होगा फंसे कर्जों का खुलासा

बैंकों पर सेबी की सख्ती, सूचीबद्ध बैंकों को तुरंत करना होगा फंसे कर्जों का खुलासा

खास बातें

  • बैंकों पर सेबी की सख्ती, आरबीआई से परामर्श के बाद लिया फैसला
  • जोखिम रिपोर्ट जारी होने के 24 घंटे के भीतर देनी होगी फंसे कर्जों की जानकारी
  • कई बैंकों का एनपीए खतरनाक स्तर तक

शेयर बाजार नियामक सेबी संकट में फंसे कर्जों को लेकर सूचीबद्ध बैंकों खासा सख्त हो गया है। सेबी ने बृहस्पतिवार को सूचीबद्ध बैंकों से कहा कि संकट में फंसे कर्जों (बैड लोन) के लिए प्रावधान एक सीमा से ऊपर होने के बाद जोखिम आकलन रिपोर्ट मिलने के बारे में 24 घंटे के भीतर इसका खुलासा करना होगा। यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों को जारी की जाती है।

गौरतलब है कि बीते एक अरसे से देश का बैंकिंग उद्योग संकट में फंसे कर्जों की समस्या से जूझ रहा है और कई बैंकों का एनपीए तो खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका है। सेबी ने एक सर्कुलर के माध्यम से कहा कि यह फैसला आरबीआई के साथ परामर्श के बाद लिया गया है।

इस क्रम में बाजार नियामक ने फैसला किया कि आरबीआई द्वारा उल्लिखित सीमा से ऊपर विचलन या प्रावधान होने की स्थिति में सूचीबद्ध बैंकों को जल्द से जल्द खुलासा करना होगा और यह अवधि आरबीआई की अंतिम जोखिम आकलन रिपोर्ट (आरएआर) मिलने के बाद 24 घंटे से ऊपर नहीं होनी चाहिए। साथ ही बैंकों को इसके लिए अपने वार्षिक वित्तीय नतीजों का भी इंतजार नहीं करना चाहिए। आरबीआई के बयान के मुताबिक, यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।

नौ अरब डॉलर तक घट सकता है बैंकों का भुगतान राजस्व

भुगतान परिदृश्य में बदलाव के चलते अगले छह साल में भारतीय बैंक नौ अरब डॉलर का राजस्व गंवा सकते हैं। सलाहकार कंपनी एक्सेंचर के सर्वे में यह खुलासा हुआ। इसके मुताबिक, अगले कुछ साल में भुगतान ज्यादा जल्दी और मुफ्त हो जाएंगे, जिससे इस खंड में वृद्धि के बावजूद बैंकों का राजस्व खतरे में पड़ जाएगा।

गौरतलब है कि बीते कुछ साल के दौरान डिजिटल भुगतान में खासा इजाफा हुआ है, जिसे यूजर्स के लिए सुविधा बढ़ी है और बैंकों को राजस्व बढ़ाने का आकर्षक विकल्प मिला है। अध्ययन के मुताबिक, भुगतान राजस्व सालाना 10.70 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 2025 तक 70 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। सर्वे में आगाह किया गया कि बैंक इसे भुनाने में ज्यादा कामयाब नहीं हो पाएंगे, क्योंकि गैर बैंक कंपनियां इस खंड में ज्यादा सक्रिय हो गई हैं।

मर्चैंट बैंकर पर 10 लाख का जुर्माना

सेबी ने ईसीई इंडस्ट्रीज की गैर सूचीबद्धता पेशकश में कीमत तय करने में गलत गणना पर मर्चैंट बैंकर कॉरपोरेट प्रोफेशनल कैपिटल पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके वास्तविक पेशकश मूल्य की गणना में निवेशक गुमराह हो गए। सेबी ने कहा कि इस गलत गणना के कारण कुछ निवेशकों ने सूचीबद्धता खत्म करने की प्रक्रिया में भाग नहीं लिया होगा। नियामक में मामले की जांच के बाद यह कार्रवाई की है।

विडियों समाचार