पढे: कैसे अपराधियों को संरक्षण देती है उत्तर प्रदेश पुलिस? रिस्तेदार पुलिस में तो घबराना नहीं

पढे: कैसे अपराधियों को संरक्षण देती है उत्तर प्रदेश पुलिस? रिस्तेदार पुलिस में तो घबराना नहीं

नकुड़/सहारनपुर: उत्तर प्रदेश में वैसे तो पुलिस अपराधियों पर नकेल कसने का दम भरती है लेकिन वास्तविकता उसके एकदम उलट है। यदि अपराधियों के पास पैसा है, और पुलिस विभाग में कोई रिस्तेदार है तो कोई कितना बड़ा अपराधी क्यों न हो उसको पुलिस का संरक्षण मिलना तय है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के नकुड़ थाना का महिला अपराध से संबंधित एक ऐसा मामला सामने आया जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस की कलई खोल कर रख दी। इस मामले में पुलिस ने सभी हदे पार कर अपराधियों को ऐसा संरक्षण दिया कि महिलाये पुलिस थानों में सुनवाई की उम्मीद बिल्कुल छोड़ दे।

दरअसल मार्च 2020 में पीड़ित महिला ने अपने पति सहित ससुराल पक्ष के तीन लोगों के विरुद्ध जहर देकर मारने का प्रयास, दहेज के लिए प्रताड़ित करने सहित कई धाराओं में एफआईआर दर्ज करायी थी। लेकिन मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक पुलिस ने इस मामले में अपराधियों को पूरी तरह संरक्षण दिया। पुलिस ने महिला की एक नहीं सुनी और मामले को संदिग्ध मानते हुए महिला के विसरे को जांच के लिए फोरनसिक लैब में भेज दिया। लगभग एक वर्ष के लंबे इंताजार के बाद लैब रिपोर्ट पाज़िटिव आई। रिपोर्ट पाज़िटिव आने के बाद पुलिस की मजबूरी हो गई की कार्यवाही के नाम पर लीपा-पोती की जाए। तीन आरोपियों में से पुलिस ने एक आरोपी को मजबूरन गिरफ्तार किया और चालान कर दिया। अन्य दो आरोपी अभी भी खुले आम घूम रहे है, और इतना ही नहीं महिला पर मामला वापस लेने का दबाव दे रहे है और मामला वापस नहीं लेने पर अंजाम भुगतने की धमकी दे रहे है। यह दबाव व धमकी का खेल नकुड़ थाना पुलिस के संरक्षण में खेला जा रहा है।

दरअसल, आरोपियों का एक रिस्तेदार पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात है, आरोप है यही कांस्टेबल अपराधियों को संरक्षण दिलवा रहा है। जब मामला दर्ज हुआ यह कांस्टेबल नकुड़ थाना में ही तैनात था। हालाँकि कुछ समय पूर्व कांस्टेबल का ट्रांसफर सहारनपुर हो गया, मगर शंका जताई जा रही है कि यह कांस्टेबल अभी भी अधिकारियों के साथ सेटिंग का खेल कर रहा है और अपराधियों की हर संभव मदद कर रहा है।

पीड़ित महिला का कहना है कि पुलिस ने इतने लंबे समय तक कोई कार्यवाही नहीं कि बल्कि पुलिस ने कई बार समझौता करने का दबाव भी बनाना चाहा, मगर मैं नहीं झुकी। लैब रिपोर्ट के बाद भी पुलिस कार्यवाही के नाम पर लीपा-पोती करने में लगी है। महिला ने बताया कि जब पुलिस से अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया तो पुलिस ने आरोपियों को बीमार बता कर गिरफ्तार नहीं करने की बात कही। महिला का कहना है कि पहले तो अपराधियों में से कोई भी बीमार नहीं है और यदि बीमार होता भी है तो, ‘क्या यदि बीमार व्यक्ति अपराध करता है तो संविधान में उसे माफ करने का प्रावधान है?’

उन दरिंदों ने मेरे साथ क्या सलूक किया मुझे ही मालूम है? एसे दरिंदों को समाज में खुला घूमना खतरनाक है। आगे कहा यदि मेरे साथ कुछ बुरा होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी नकुड़ थाना पुलिस की होगी।

 

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