- इस मामले में जाँचकर जिम्मेदारी तय हो
[इन्द्रेश त्यागी] दिल्ली में निजामुदीन के धार्मिक मरकज में हजारो लोगों की तबलीगी जमात ने कोराना की रोकथाम के लिये चलायी गयी केंद्र व राज्य सरकार की तमाम कौशिशों को गहरा धक्का पंहुचाया है। कुछ लोगो के इस कुकृत्य व अफसरो की लापरवाही ने जंहा देश को बडे संकट मे डाल दिया है। वंही कोरोना के फैलने की आशंका के चलते देश हजारों लोगों के जीवन पर भी बडा संकट खडा हो गया है। अब चंद लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर पूरे मामले को रफादफा करने के प्रयास शुरू हो गये है। जबकि जिम्मेदार अफसरो व एजंसियों की जिम्मेदारी तय हुए बिना इस मामले को निपटाना भयंकर भूल होगी।
बताया जाता है कि मार्च के शुरू से ही दिल्ली के इस मरकज में तबलीगी जमात का जुटना शुरू हो गया था। थाईलेंड, इंडोनेशिया, इंग्लेंड, मलेशिया सहित कई अन्य देशों से तीन सौ से अधिक लोग इस तबलीगी जमात मे शामिल हुए। जबकि दिसबंर मे चीन मे कोरोना का कहर शुरू होने के बाद पूर्वी ऐशिया सहित कोरोना से संभावित रूप से प्रभावित देशो के भारतीय दुतावासों को एलर्ट पर रखा गया था। फिर भी भारतीय दुतावासों ने उन्हे नियमों के विरूद्ध जाकर टुरिस्ट वीजा जारी कर दिया।
इसके अलावा बडी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से लोग इस तबलीगी जमात मे शामिल होते गये। जैसे कि हर बार होता है पूरा प्रशासन सोता रहा और जमाती मरकज मे एकत्रित होते गये। मार्च में दिल्ली में कोरोना का कहर शुरू होने के बाद भी किसी भी ऐजेंसी ने मरकज में जमात को एकत्रित होने से नहीं रोका। पाकिस्तान मे ऐसे एक कार्यक्रम के बाद कोरोना के मामलों मे तेजी से बढोतरी हुई थी। पंरतु देश के जिम्मेदार अधिकारियों ने शायद पाकिस्तान की घटना से भी सबक नही लिया। दिल्ली सरकार धारा 144 लगाने के साथ ही पांच व्यक्तियों के एक जगह एकत्रित न होने देने की घोषणा करती रही। एक सामान्य से कार्यक्रम को कराने के लिये पुलिस व प्रशासन से अनुमति लेने के लिये लोगो की जूते घिस जाते है पंरतु इतना बडा कार्यक्रम जिसमे बडी संख्या में विदेशी व देशी जमाती शामिल हो रहे हो बिना अनुमति के देश की राजधानी में खुलेआम हो जाये यह बेहद गंभीर मामला है।
क्या कर रही थी पुलिस, लोकल इंटेलीजेंस युनिट व प्रशासन
केंद्र व दिल्ली सरकार की नाक के नीचे बिना अनुमति के इतना बडा कार्यक्रम का ऐसे समय मे होना जबकि कथित रूप से सारी एजेंसियों एलर्ट पर थी बडी चूक नही बल्कि एक अपराध है। एक महिने तक जमाती मरकज मे रूके रहे। विदेशियों पर नजर रखने वाली लोकल इंटेलिजेंस युनिट सोती रही। दिल्ली पुलिस ने मरकज को खाली कराने के बजाये हाथ पर हाथ रखकर बैठी रही। दिल्ली सरकार के एसडीएम से लेकर डीएम तक पूरा अमला सोता रहा ओर केजरीवाल टीवी चैनलो पर कोरानो से लडने का भाषण देते रहे।
दिल्ली पुलिस वीडिओं जारी कर अपना बचाव करने का प्रयास कर रही है
दिल्ली मे छोटी सी गलती पर आम नागरिकों से दुर्व्यवहार करने वाली दिल्ली पुलिस अब हर बार की तरह विडियो जारी करके अपना बचाव करती नजर आ रही है। दिल्ली के दंगे हो या सीएए पर विरोध प्रदर्शन दिल्ली पुलिस पहले ही अपनी काफी फजीहत करवा चुकी है। हर बार दिल्ली पुलिस कुछ वीडिओं जारी करके अपनी छवि बचाने का प्रयास करती है। वैसा ही उसने इस बार भी किया है। सवाल यह है कि जब दिल्ली में धारा 144 लगी थी तो मरकज मे इतने लोगो को बिना अनुमति के इतने लोगो को एकत्रित ही क्यो होने दिया गया? अब ये लोग देश को कोरोना बाँट रहे है। क्या यह अपराध क्षमा योग्य है। दिल्ली पुलिस इसपर अपनी जिम्मेदारी से नंही बच सकती।
अब केंद्र सरकार को इस मामले को डंडे बस्ते मे डालने के बजाये इसकी जिम्मेदारी तय करनी चाहिए। साथ ही जिम्मेदार अधिकारी वह चाहे कोई भी हो उसे दंडित किया जाना चाहिए। उन्हे ऐसे सजा मिले कि दुसरे अधिकारियों को भी सबक मिले कि आम जन के स्वास्थ्य खिलवाड करने वालों के लिये यह सरकार कोई रियायत नंही बरतती। अन्यथा हर बार की तरह यह जघन्य अपराध भी फाईलों मे दबकर रहे जायेगा और लोग अपनी जान गंवाते रहेगे।
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