नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता में आए एक महीना पूरा हो गया है। अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के गिरने और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ कर जाने के बाद 15 अगस्त को तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्जा जमा लिया था। देश में तालिबान के शासन के डर से अबतक लाखों की संख्या में लोग युद्धग्रस्त देश को छोड़ चुके हैं। इस दौरान दुनिया ने काबुल एयरपोर्ट को वो नजारा भी देखा, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। अमेरिकी वायुसेना के एक विमान पर लटक कर देश से बाहर जाने की कोशिश में कई लोगों की जान चली गई।

पिछले एक महीने में तालिबान शासन की पूरी टाइमलाइन

15 अगस्त – तालिबान लड़ाकों ने राजधानी काबुल पर कब्जा किया। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने की रफ्तार ने अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों को भी चकित कर दिया। विदेशियों और अफगानों द्वारा देश छोड़ने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी मच गई। इस दौरान कई लोग मारे भी गए।

अगस्त 17 – अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी पर अपनी चुप्पी तोड़ी। काबुल एयरपोर्ट की भयावह तस्वीरों के कारण दुनिया भर में वाशिंगटन पर आरोप लगे।

– तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपनी जीत के बाद तालिबान द्वारा पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने अफगानों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आश्वस्त करने का प्रयास करते हुए कहा कि महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा और कोई प्रतिशोध नहीं होगा।

18 अगस्त – पूर्वी शहर जलालाबाद में तालिबान के खिलाफ विरोधी प्रदर्शन हुए। इस दौरान तालिबान की फायरिंग में कम से कम तीन लोग मारे गए।

19 अगस्त – काबुल हवाईअड्डे पर अफरा-तफरी के नजारे दुनिया भर की सुर्खियों में छाए रहे। तालिबान के लड़ाकों की तरफ से की गई फायरिंग और भगदड़ में कई और लोगों की जान चली गई।

– तालिबान के आश्वासन के बावजूद, पत्रकारों की पिटाई की खबरें आती रहीं। तालिबान ने कुछ महिलाओं को काम से दूर रहने का फरमान जारी किया।

– असदाबाद और काबुल में तालिबान विरोधी प्रदर्शन हुए।

21 अगस्त – तालिबान ने कहा कि वह समूह द्वारा किए गए अत्याचारों की रिपोर्ट की जांच करेगा और लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा। वे सही कागजी कार्रवाई वाले लोगों के लिए को सुरक्षित निकास प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं।

23 अगस्त – हाजी मोहम्मद इदरीस को आर्थिक उथल-पुथल के बीच केंद्रीय बैंक का कार्यवाहक गवर्नर नामित किया गया।

24 अगस्त – वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने कहा कि कोरोना वायरस और सूखे को देखते हुए लाखों अफगान नागरिकों को जल्द ही भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है।

26 अगस्त – काबुल एयरपोर्ट के पास एक आत्मघाती बम हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों सहित कई लोग मारे गए। कुछ पश्चिमी मीडिया रिपोर्टों ने मरने वालों की संख्या लगभग 200 बताई। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट की एक स्थानीय शाखा आइएसआइएस- खुसरान ने ली।

अगस्त 27 – अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट पर मारे गए 13 सैनिकों का बदला लिया। अमेरिकी सेना ने बताया उसने इस्लामिक स्टेट के योजनाकार के खिलाफ एक ड्रोन हमला किया है।

29 अगस्त – अमेरिकी ड्रोन ने एक संदिग्ध आत्मघाती हमलावर को निशाना बनाया। पेंटागन ने कहा था कि वह काबुल हवाई अड्डे पर हमला करने की तैयारी कर रहा था। तालिबान ने बाद में हमले की निंदा की और कहा कि वहा नागरिक हताहत हुए हैं।

30 अगस्त – यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की पूर्ण वापसी की घोषणा की।

– उधर, अमेरिका के जाते ही तालिबान ने अफगानिस्तान के लिए स्वतंत्रता की घोषणा की।

31 अगस्त – बैंकों पर लंबी कतारें, खाने की बढ़ती कीमतें और अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश करने वाले लोग तालिबान के लिए पहली चुनौती बन गए।

3 सितंबर – तालिबान ने दावा किया कि उसने पंजशीर प्रांत पर नियंत्रण कर लिया है, जबकि अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ विद्रोह के नेता अहमद मसूद के नेतृत्व वली नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने दावे को खारिज कर दिया।

4 सितंबर – सहायता उड़ानों और घरेलू सेवाओं के लिए काबुल हवाई अड्डा फिर से खुला।

7 सितंबर – हफ्तों की बातचीत और अटकलों को समाप्त करते हुए तालिबान ने अपनी नई सरकार की घोषणा की।

9 सितंबर – नई तालिबान सरकार के तहत पहली वाणिज्यिक अंतरराष्ट्रीय उड़ान काबुल से 100 से अधिक विदेशियों को लेकर रवाना हुई।

13 सितंबर – संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान के लिए 1.1 अरब डालर देने का वादा किया।

14 सितंबर – तालिबान द्वारा एक पूर्व सैन्य उपनिवेश से परिवारों को बेदखल करने की योजना को लेकर दक्षिणी शहर कंधार में हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।