नेपाल तेवर दिखा रहा है,लेकिन भारत ने फिर भी निभाई दोस्ती
- नेपाल भूल गया दोस्ती का मतलब लेकिन भारत नहीं भूला, जरूरत पर आया काम
- नेपाल सरकार ने मांगी थी अपने नागरिक को ऑस्ट्रेलिया से निकालने में मदद
- एयर इंडिया की फ्लाइट में बैठकर आए नेपाली, दिल्ली में होना है बोनमैरो ट्रांसप्लांट
- अपने नए मैप में नेपाल में भारत के पिथौरागढ़ के कई इलाके अपनी सीमा में दिखाए हैं
सचिन पराशर/नई दिल्ली
मुश्किल वक्त में दोस्त ही काम आता है। नेपाल उन देशों में से है जिनकी भारत ने हमेशा मदद की है। भले ही नेपाल की ओर से इस वक्त भारत के इलाकों पर कब्जा करने का दम भरा जा रहा हो, भारत विनम्र है लेकिन अपनी पोजिशन पर टिका है। ऐसे तनाव के बीच भी नेपाल ने जब मदद मांगी, भारत ने मना नहीं किया। ऑस्ट्रेलिया में एक नेपाली के लिए मेडिकल इमर्जेंसी आई तो भारत ने फौरन मदद पहुंचाई। विदेशों से लोगों को ला रहे स्पेशल एयर इंडिया विमान से तीन नेपाली नागरिकों को दिल्ली लाया गया है।
दिल्ली में होना है मरीज का ऑपरेशन
सूत्रों के मुताबिक, जिन तीन नेपाली नागरिकों को भारत लाया गया है, उनमें से एक का दिल्ली में बोनमैरो ट्रांसप्लांट होना है। दूसरा शख्स मरीज का भाई है और वही बोनमैरो डोनेट कर रहा है। इनके पिता भी साथ आए हैं।
दोस्ती के लिए भारत ने की मदद
सूत्रों ने कहा कि भारत ने नेपाल की मदद इसलिए की क्योंकि दोनों देशों की दोस्ती अनूठी है और लोग एक-दूसरे से बेहद जुड़ाव महसूस करते हैं। 1950 की संधि के आधार पर, नेपाल नागरिकों को भारतीय नागरिकों जितनी सुविधाएं ही मिली हैं।
भारत और नेपाल के बीच क्या है कालापानी विवाद?भारत और नेपाल के बीच ‘कालापानी बॉर्डर’ का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। नेपाल इस मुद्दे पर भारत से बात करना चाहता है। नेपाल का कहना है कि आपसी रिश्तों में दरार पड़ने से रोकने के लिए कालापानी मुद्दे को सुलझाना अब बहुत जरूरी है। सवाल है कि जिस मसले को लेकर दोनों देशों के बीच कभी कोई तनाव के हालात नहीं बने, उसे लेकर अब ऐसी बैचैनी क्यों है? खास तौर पर नेपाल की ओर की। क्या है कालापानी का ये पूरा मसला और नेपाल में क्यों ये बन गया है एक बड़ा मुद्दा, आपको बताते हैं इस विडियो में।
नेपाल की हरकतों के बावजूद भारत ने नहीं छोड़ी इंसानियत
नेपाल की तरफ से पिछले कुछ दिनों में कई आक्रामक कदम उठाए गए हैं। पहले उन्होंने अपने आधिकारिक मैप में भारत के कुछ इलाकों को अपनी सीमा में दर्शाया। भारत ने इसे पूरी तरह से एकपक्षीय फैसला बताया और साफ कर दिया था कि वे सभी इलाके भारत का हिस्सा हैं। फिर नेपाल ने पिथौरागढ़ से सटे बॉर्डर पर बरसों पुराने एक रोड प्रोजेक्ट को शुरू करवा दिया। यह रोड रणनीतिक रूप से अहम है और उसी इलाके में है जहां पर नेपाल अपना कब्जा बताता रहा है।
कालापानी पर भी तेवर तीखे
नेपाल के तेवरों में शायद थोड़ी नरमी देखने को मिले। कालापानी को लेकर विवाद पर अब वह बातचीत की बात तो कर रहा है। नेपाल के विदेशी मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि भारत के साथ उनके देश का खास और करीबी रिश्ता है। उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे का एकमात्र हल अच्छी भावना के साथ बातचीत है। नेपाल कहता है कि काली नदी का ऑरिजिन पॉइंट लिंपियाधुरा है, इसलिए कालापानी और लिपुलेख पास उसका है। भारत के पास मौजूद लैंड रिकॉर्ड्स दर्शाते हैं कि ये इलाका 1830 से ही पिथौरागढ़ का हिस्सा है।