India china talk: फिंगर-4 पर फंसा पेच, भारत-चीन सेना के बीच आज मेजर जनरल लेवल की बातचीत

India china talk: फिंगर-4 पर फंसा पेच, भारत-चीन सेना के बीच आज मेजर जनरल लेवल की बातचीत

 

ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल के पास पिछले एक महीने से गतिरोध अब भी बरकरार

  • हालांकि इस बीच ईस्टर्न लद्दाख में तीन पॉइंट्स से चीनी सैनिक कुछ किलोमीटर पीछे हट गए हैं
  • इस माहौल में भारत और चीन सेना के मेजर जनरल स्तर पर अहम बातचीत होने जा रही है

नई दिल्ली
ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तीन पॉइंट्स से चीनी सैनिकों के कुछ पीछे हटने के बाद पूरी तरह विवाद खत्म करने को लेकर बुधवार को फिर भारत और चीन सेना के मेजर जनरल स्तर पर बातचीत होने जा रही है। इस बैठक से तय होगा कि भारत और चीन के बीच तनाव किस हद तक कम होगा। ऐसे में इस मीटिंग पर हर किसी की नजर टिकी है।

हालांकि, सीमा पर दोनों मुल्कों के हालिया कदम से यह साफ होने लगा है कि भारत-चीन के बीच कुछ तल्खी कम हुई है। खासकर कुछ इलाकों में चीनी सेनाओं के पीछ हटने से ये संकेत मिले हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि फिंगर-4 विवाद का समाधान जल्द निकलने की उम्मीद कम है। 6 जून की मीटिंग में भी माना गया था कि वहां पर गतिरोध लोकल कमांडर या हाईएस्ट लेवल (मेजर जनरल लेवल) मीटिंग से दूर नहीं हो पाएगा।

इन इलाकों में विवाद
सूत्रों के मुताबिक, गतिरोध के चार पॉइंट्स में से पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और हॉट स्प्रिंग एरिया से सैनिक कुछ पीछे हटे हैं। गलवान घाटी से 3 जून को ही चीनी सैनिक करीब 2 किलोमीटर पीछे चल गए थे। गतिरोध के चार पॉइंट्स की पहचान की गई जो पैंगोग त्सो एरिया में फिंगर-4, गलवान वैली में पेट्रोलिंग पॉइंट-14, पेट्रोलिंग पॉइंट-15 और हॉट स्प्रिंग एरिया है।

चीन का एक्सपोर्ट हो जाएगा बर्बाद

  • चीन का एक्सपोर्ट हो जाएगा बर्बाद

    चीन के कुल निर्यात का 17 परसेंट सिर्फ अमेरिका को जाता है। दोनों देशों के बीच ट्रेड वार (China Us trade war) के कारण तनाव पहले से है। ट्रंप चीन के कई सामान पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा चुके हैं। यही नहीं कोरोना वायरस के बाद ट्रंप और सख्त हो गए। अमेरिकी सीनेट ने हाल ही में चीन स्थित अमेरिकी कंपनियों को बाहर निकालने का बिल पास कर दिया। इससे साफ है कि चीन में मैनुफैक्चरिंग यूनिट घटेंगे। सस्ते मजदूर और पेशेवर माहौल के कारण दुनिया भर की कंपनियों ने चीन का रुख किया था। कोरोना वायरस ने हालात पलट दिए हैं। i-phone जैसी कंपनी तो पहले ही भारत में भी यूनिट लगाने की घोषणा कर चुकी है। अब कई और नामी मल्टीनेशनल कंपनियां चीन से भारत की ओर रुख कर रही हैं। चीन के कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 3 परसेंट है। चीनी सामान का विरोध फिर से शुरू हो गया है। आत्मनिर्भर भारत योजना से चीनी इंपोर्ट को झटका लगना तय है। अब भारत और अमेरिका को जोड़ दें तो 20 परसेंट चीनी इंपोर्ट पर खतरे की घंटी बजती दिखाई देती है। दरअसल इसी की सनक सीमा पर दिखाई दे रही है।
  • ​नौकरियों पर खतरा, युवाओं में आक्रोश

    कोरोना वायरस के कारण चीन के ठप उद्योग धंधे दोबारा शुरू तो हो गए हैं लेकिन डिमांड ही नहीं रही तो फैक्ट्रियां खोल कर भी कोई फायदा नहीं है। चीन के लाखों युवा बेरोजगार हो चुके हैं। उनमें सत्ता के प्रति असंतोष है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार किसी विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं देती लेकिन 1989 के थ्यानमेन स्क्वायर जैसे हालात फिर पैदा हो सकते हैं। हॉंगकॉंग में प्रो डेमोक्रेसी प्रदर्शन को जिस तरह से चीन कुचल रहा है उसकी अवाज मेनलैंड चाइना में भी सुनी जा रही है। चीन में बेरोजगारी की दर बढ़ कर 6 परसेंट हो चुकी है। ये चिंगफिंग के लिए खतरे की घंटी है।
  • 1976 के बाद सबसे बुरा हाल, खजाना खाली

    चीन की इकॉनमी 13.7 ट्रिलियन डॉलर की है। 1976 के बाद पहली बार चीनी इकॉनमी में 6.8 परसेंट की गिरावट आई है। ये जनवरी से मार्च 2020 के आंकड़े हैं। जानकारों के मुताबिक चीन अब भयानक मंदी की तरफ बढ़ रहा है। कोरोना वायरस से हुए नुकसान की भरपाई के लिए चीन सरकार ने 672 अरब डॉलर का पैकेज दिया है जो जीडीपी के 5 परसेंट के बराबर है। इकॉनमी में जान फूंकने के लिए चिंगफिंग सरकार खजाना खोलने की योजना बना रही है। सरकारी योजनाओं पर 3.15 ट्रिलियन युआन खर्च किया जाएगा ताकि नौकरियां बची रहे और फैक्ट्रियां चलती रहे। इसके बावजूद 6.8 परसेंट की गिरावट की भरपाई नहीं हो पाएगी। चीन के आर्थिक आंकड़ों के वैसे भी भरोसे लायक नहीं माना जाता। अगर सरकार खर्च बढ़ाती है तो घाटा भी बढ़ेगा।
  • ​ऐसे बैठ जाएगा ड्रैगन

    कोरोना काल में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई देशों से चीन के रिश्ते खराब हो चुके हैं। इसकी कीमत भी चीन चुकाएगा। चीन स्टील का सबसे बड़ा आयातक है जिससे उसकी फैक्ट्रियां 24 घंटे चलती है। ये स्टील वो ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया से मंगाता है। ऑस्ट्रेलिया ने जब से वुहान वायरस की जांच की मांग की है, दोनों के रिश्ते बेहद खराब हो चुके हैं। चीन ने ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका का कुत्ता तक कह डाला। कच्चा तेल और दूसरे सामान सियरा लियोन, चिली और अंगोला जैसे देशों से चीन मंगाता रहा है। बदले में भारी कैश देता रहा है। जब चीन का खजाना खाली होगा तो कैश फ्लो बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
  • वन बेल्ट वन रोड (OBOR) की चालबाजी पर चाबी

    चीन ओबोर की आड़ में रणनीतिक तौर पर अहम देशों में भरपूर पैसे झोंक रहा है। अफ्रीका , एशिया और यूरोप के देशों को उसने जम कर सस्ते लोन दिए। अब इसे जारी रखना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि चीन का पूरा ध्यान आंतरिक इकॉनमी है जो टूट रही है। हालांकि ओबोर की रणनीतिक चाल से कई देश पहले ही सतर्क हो चुके हैं। इसका उदाहरण है श्रीलंका का हम्बनटोटा पोर्ट। इसे बनाने के लिए चीन ने पैसे झोंक दिए। बदले में वहां वो छोटा से बेस चाहता था। भारत ने इससे श्रीलंका को आगाह किया। इसके बाद श्रीलंका ने चीन को इस प्रोजेक्ट से दूर कर दिया है।
  • चमचा पाकिस्तान भी हुआ सतर्क

    चीन सरकार भारत को साधने के लिए पाकिस्तान को सहलाने की नीति पर काम करती है। पाकिस्तान के कराची तक रोड बनाने और ग्वादर पोर्ट को विकसित करने की ये योजना 46 अरब डॉलर की है। चीन के इंजीनियर और वहां की पावर कंपनियां पाकिस्तान में मौजूद हैं। शुरू में पाकिस्तान को लगा कि चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (China Pakistan Economic Corridor) से भारत पर शिकंजा कसेगा और आर्थिक फायदा भी होगा। अब इससे उलट परिणाम आ रहे हैं। हाल ही में इमरान खान सरकार ने पॉवर कंपनियों के बढ़ते घाटे की जांच के आदेश दिए। जांच रिपोर्ट से चौंकाने वाली बात सामने आई। चीनी पॉवर कंपनियां 100 अरब पाकिस्तानी रुपयों के गबन में लिप्त पाई गईं. इससे दबी जुबान पाकिस्तान में भी CPEC पर सवाल उठ रहे हैं।
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किस पक्ष की क्या दलील?
मीटिंग में तय किया गया कि गतिरोध के अलग-अलग पॉइंट पर लोकल कमांडर स्तर पर बातचीत की जाएगी। उम्मीद जताई गई कि डेलिगेशन लेवल और सर्वोच्च कमांडर (डिविजन लेवल) की बातचीत से हल निकल सकता है। हालांकि फिंगर-4 को लेकर गतिरोध पहले की तरह ही बरकरार है।

एलएसी पर गतिरोध का सबसे बड़ा पॉइंट ही फिंगर-4 है। यहां पर चीनी सैनिक बड़ी संख्या में डटे हैं। पहले भारतीय सैनिक फिंगर-8 तक पेट्रोलिंग पर जाते थे, लेकिन चीनी सैनिकों ने फिंगर-4 के पास ही ब्लॉक कर दिया है। भारत का दावा है कि एलएसी फिंगर-8 से गुजरती है।

चीन क्यों कर रहा विरोध?
मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत की ओर से एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण का चीन द्वारा तीखा विरोध है। गलवान घाटी में भी दरबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर चीन के विरोध को लेकर भी गतिरोध है।

NBT

LAC पर भारत-चीन में गतिरोध

पैंगोंग सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है। भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा।

इन इलाकों में डेढ़ किमी पीछे हटा चीन
इससे पहले भारत और चीन की सेनाओं ने सीमा पर गतिरोध को खत्म करने की पहल करते हुए पूर्वी लद्दाख के कुछ गश्त बिंदुओं से ‘सांकेतिक वापसी’ के तौर पर अपने सैनिकों को वापस बुलाया है। सैन्य सूत्रों ने कहा कि चीनी और भारतीय सेनाओं ने गलवान घाटी के दो गश्त क्षेत्रों 14 और 15 तथा हॉट स्प्रिंग के एक गश्त क्षेत्र से अपने कुछ सैनिक वापस बुलाए हैं।

वांगचुक की अपील से चिढ़े चीन ने क्या कहा?

वांगचुक की अपील से चिढ़े चीन ने क्या कहा?लद्दाख बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच जारी तनातनी के बाद लोगों से चीन के प्रॉडक्ट्स को बॉयकॉट करने की अपील करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक अब चीन के निशाने पर आ गए हैं। वांगचुक के वायरल वीडियो का असर कितनी दूर तक हुआ है कि ये चीन की तिलमिलाहट से साफ पता चला रहा है।

चीनी पक्ष दोनों इलाकों में लगभग डेढ़ किलोमीटर तक पीछे हट गया है। हालांकि, सैनिकों की वापसी के संदर्भ में रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इस मामले पर चीन की तरफ से भी कोई जानकारी नहीं दी गई है। सूत्रों ने कहा कि चीनी और भारतीय दोनों सेनाएं इन तीन इलाकों से कुछ सैनिकों को वापसी बुला रही हैं और अस्थायी ढांचों को हटा रही हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है।’

पहले भी हो चुकी है मीटिंग
विवाद खत्म करने के लिए लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियु लिन ने 6 जून को बात की थी। इससे हालांकि कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि बैठक सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण में हुई। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति कायम रखने और बातचीत के जरिये गतिरोध को सुलझाने पर सहमत हैं।

पकड़ी गई सीमा पर चीन की चोरी, देखें सैटलाइट तस्‍वीरेंचीन ने लद्दाख में बॉर्डर के पास कैसे अपना साजोसामान जुटाया है, उसकी एक झलक 27 मई की इन सैटलाइट तस्‍वीरों में देखी जा सकती है। प्‍लैनेट लैब्‍स की ये तस्‍वीरें पैंगोंग झील के उत्‍तरी किनारे की हैं।

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