शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में साहित्योत्सव–2024 का आयोजन किया जाएगा

शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में साहित्योत्सव–2024 का आयोजन किया जाएगा

गंगोह [24CN] : शोभित विश्वविद्यालय गंगोह में 3 फरवरी, शनिवार को हिंदुस्तानी एकेडेमी उ. प्र., प्रयागराज (भाषा विभाग उ. प्र. शासन के नियंत्रणाधीन), पोएटिक आत्मा ट्रांस्फ़ॉर्मिंग इंडिया एवं ‘विरासत’ यूनिवर्सिटी हेरिटेज रिसर्च सेंटर, शोभित विश्वविद्यालय, गंगोह (सहारनपुर) के संयुक्त तत्वावधान में सहारनपुर के प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की स्मृति में साहित्योत्सव 2024 का आयोजन किया जा रहा है।

शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कुँवर शेखर विजेंद्र जी, डॉ एस के उपाध्याय (सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद एवं समाजसेवी), प्रो रणजीत सिंह (कुलपति, शोभित यूनिवर्सिटी, गंगोह), प्रो. रहमान मुसव्विर (शिक्षाविद, साहित्यकार, सुप्रसिद्ध शायर), श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह (सचिव, हिंदुस्तानी एकेडेमी उत्तर प्रदेश प्रयागराज) के उद्बोधन के साथ उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ होगा। साथ ही विरासत’ यूनिवर्सिटी हेरिटेज रिसर्च सेंटर से प्रकाशित राजीव उपाध्याय यायावर की ‘ऐसे हैं श्रीराम’ पुस्तक का लोकार्पण किया जाएगा।

साहित्योत्सव में उद्घाटन सत्र के दौरान संगोष्ठी में डॉ. विजेंद्र पाल शर्मा, डॉ शारदा द्विवेदी, वीरेंद्र आजम, मनोज रस्तोगी, वी के डोभाल, राजीव उपाध्याय यायावर, श्री कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालेंगे।

तत्पश्चात ओपन माइक (खुला मंच) में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। सूफ़ी संगीत का भी आयोजन किया जाएगा। सांध्य कालीन सत्र में कवि सम्मेलन-मुशायरे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें में डॉ सुरेंद्र सिंघल (ग़ाज़ियाबाद), ज़ुबैर अंसारी (लखनऊ), प्रो. रहमान मुसव्विर (दिल्ली), सिद्धार्थ शांडिल्य (मुंबई), कवि दान बहादुर (बनारस), डॉ राजीव रियाज़ (प्रतापगढ़), अफ़ज़ल मंगलौरी (रुड़की), अंबरीश ठाकुर (लखनऊ), अभिषेक तिवारी (शिमला), धीरेंद्र सिंह (जालंधर), शाहमीर वसीम (गोरखपुर), बिलाल सहारनपुरी (सहारनपुर) आदि शामिल रहेंगे।

इस अवसर पर शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने इस अग्रणी आयोजन को सफल बनाने में शामिल सभी लोगों को शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए अपने संदेश में कहा कि यह उद्घाटन संस्करण न केवल पद्मश्री श्री कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी की साहित्यिक विरासत का जश्न मनाता है, बल्कि साहित्य और कला के सम्मान में एक नई मिसाल भी स्थापित करता है।

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