जानिये- क्यों प्रियंका और राहुल गांधी भी दूर नहीं कर पाए दिल्ली कांग्रेस की गुटबाजी
नई दिल्ली । तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ शुक्रवार को कांग्रेस के विरोध मार्च में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी औैर महासचिव प्रियंका वाड्रा भी शामिल हुए, लेकिन पार्टी की दिल्ली इकाई में चल रही गुटबाजी वह भी दूर नहीं कर पाए। यह शायद पहला अवसर रहा होगा जब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति तो रही लेकिन प्रदेश के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने इससे दूरी बनाए रखी। इन नेताओं में कई पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्रियों के नाम शामिल हैं। गौरतलब है कि यूं तो दिल्ली कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पद पर अनिल चौधरी के काबिज होने के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। इनके साथ तालमेल न बैठ पाने के कारण ज्यादातर वरिष्ठ नेता घर बैठ गए हैं। छोटा या बड़ा, पार्टी का कैसा भी आयोजन हो, यह नेता सभी से दूर रहते हैं।
बताया जा रहा है कि इन्हीं खामियों के चलते दिल्ली में पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है और बहुत से बड़े नेताओं के पार्टी को जल्द ही अलविदा कहने की चर्चाएं भी लगातार जोर पकड़ रही हैं। शुक्रवार को तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पार्टी के देशव्यापी प्रदर्शन की श्रंखला में दिल्ली इकाई का शो भी यूं तो ठीकठाक रहा। भारतीय युवा कांग्रेस की मदद से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता भी जुटा लिए गए, लेकिन वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी तब भी दूर नहीं हो पाई।
प्रदर्शन के दौरान जिन नेताओं की अनुपस्थिति इस मौके पर खासतौर पर खली, उनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन, अरविंदर सिंह लवली, जेपी अग्रवाल, सुभाष चोपड़ा, पूर्व सांसद कीर्ति आजाद, कपिल सिब्बल, जगदीश टाइटलर, महाबल मिश्रा, संदीप दीक्षि्रत, पूर्व मंत्री हारून यूसुफ, रमाकांत गोस्वामी, मंगतराम सिंघल, डॉ. ए के वालिया और राजकुमार चौहान जैसे अनेक बड़े नाम शामिल हैं। हालांकि इन सभी नेताओं के इस विरोध मार्च में शामिल न होने की कई वजह गिनाई जा सकती हैं। मसलन, कोई बीमार हो सकता है और कोई दिल्ली से बाहर, लेकिन पार्टी के ऐसे किसी महत्वपूर्ण आयोजन, जिसमें शीर्ष नेता भी शामिल हो रहे हों, उसमें पहले कभी एक साथ इतने नेताओं की दूरी देखने को नहीं मिली।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो देश की राजधानी में संगठन को नए सिरे से खड़ा करना अब वक्त की नजाकत बन चुका है। शीर्ष नेतृत्व की यह अनदेखी कहीं दिल्ली इकाई के धूमिल वर्तमान को अंधकारमय भविष्य की ओर न धकेल दे।