केजरीवाल सरकार का मिशन CCTV, अब दिल्ली पुलिस के लिए बना ‘वरदान’

केजरीवाल सरकार का मिशन CCTV, अब दिल्ली पुलिस के लिए बना ‘वरदान’

नई दिल्ली: कोरोना के कहर के बीच देश की राजधानी दिल्ली में केजरीवाल सरकार की तरफ से लगाए गए सीसीटीवी कैमर अब दिल्ली पुलिस के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं। एक समय था जब दिल्ली सरकार की ओर से लगाए गए इन सीसीटीवी कैमरों पर विपक्ष ने काफी विरोध किया था लेकिन इन्ही कैमरों की वजह से यमुनापार में हाल ही में एक छोटी बच्ची का अपहरण करने वाले आरोपियों को दिल्ली पुलिस पकड़ पाई है।

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सीसीटीवी कैमरों से दिल्ली पुलिस कई मामलों को सुलझाया
एक रिपोर्ट के अनुसार 29 सितंबर 2019 से अब तक 240 मामलों की फुटेज लेकर दिल्ली पुलिस कई मामलों को सुलझा चुकी है। इसके इलावा कोरोना काल में जब एक शख्स दिलशाद गार्डन  विदेश से आया था, जो कोरोना पॉजिटिव पाया गया। जब उस शख्स से पूछताछ की गई कि वह किस किस के संपर्क में आया था तो वह सच नहीं बता रहा है। शख्स बार बार यही कह रहा था कि वह न ही घर से निकला और न ही किसी के संपर्क में आया। तभी इस मामलें में पुलिस के लिए सीसीटीवी कैमरों को खंगााला और सच साबित किया। सीसीटीवी कैमरे में पता लगा कि वह कई दिन इलाके में घूमा था और कईं लोगों से मिला जुला था।  दिल्ली में अब तक एक लाख 40 हजार सीसीटीवी कैमरे लग चुके हैं। कोरोना की वजह से कैमरे लगाने की प्रकिया जो बंद हुई थी वह जल्द ही शुरू होने वाली है। इन्हें मिलाकर दिल्ली में 2 लाख 80 हजार कैमरे हो जाएंगे।

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यहां लगाए गए कैमरे
दिल्ली सरकार ने अब तक 40 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। इसमें गोल मार्केट, रानीबाग, पी एंड टी कॉलोनी, बीके दत्त कॉलोनी व अतुल ग्रोवर रोड आदि के इलाके शामिल हैं। कैमरों के लिए आरडब्ल्यूए के साथ-साथ आम लोगों से बिजली कनेक्शन ली जाएगी, लेकिन बिजली के खर्च का भार सरकार उठाएगी। दिल्ली सरकार द्वारा उन सभी लोगों की सूची बिजली कंपनियों को दी जाएगी, जिनके बिजली कनेक्शन से कैमरों के लिए बिजली ली गई है। एक कैमरे पर महीने में करीब 6 यूनिट बिजली खर्च होगा और कंपनियों को इस बिजली खर्च का भुगतान सरकार करेगी।

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