भारत-पाकिस्तान शांति वार्ता आतंकवाद के खिलाफ इस्लामाबाद के कदमों पर निर्भर करती है: अमेरिका

भारत-पाकिस्तान शांति वार्ता आतंकवाद के खिलाफ इस्लामाबाद के कदमों पर निर्भर करती है: अमेरिका
हाइलाइट्स
  • अमेरिका बार-बार कह रहा है कि भारत के साथ बातचीत की शुरुआत पाकिस्तान पर निर्भर करती है
  • अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई करनी ही होगी
  • इससे पहले दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने भी यही कहा था
  • एक हफ्ते के अंदर पाकिस्तान को आतंकवाद पर अमेरिका की तरफ से दो बार चेतावनी मिल चुकी है

वॉशिंगटन
अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता की बहाली इस्लामाबाद के आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उठाए ‘निरंतर और स्थायी’ कार्रवाइयों पर निर्भर करती है। अधिकारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कश्मीर मामले पर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को इच्छुक होने की बात भी दोहराई।

इसी हफ्ते दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों की अमेरिकी कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने भी कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता की राह की ‘मुख्य बाधा’ सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान का समर्थन देना है। उन्होंने कहा, ‘उपयोगी द्विपक्षीय वार्ता फिर शुरू करने के लिए भरोसा कायम करने की आवश्यकता है और सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान का समर्थन देना इस वार्ता में मुख्य बाधा है।

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन के जनवरी 2016 में पठानकोट के वायुसेना अड्डे पर हमला करने के बाद से ही भारत ने इस्लामाबाद से हर तरह का संवाद रोक रखा है। भारत का कहना है कि आतंकवाद और वार्ता एकसाथ नहीं चल सकते। भारत सरकार के 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए। भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान ने कूटनीतिक संबंध का स्तर गिरा दिया और भारत के उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया।

विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि अमेरिका उस माहौल को बढ़ावा देता रहेगा जो भारत-पाकिस्तान के बीच रचनात्मक वार्ता का रास्ता तैयार करे। नाम उजागर ना करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच कायम तनाव को लेकर चिंता जाहिर की है और इस बारे में सीधे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात भी की है।

अधिकारी ने कहा, ‘अगर दोनों देश कहते हैं तो वह (ट्रंप) निश्चित तौर पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार हैं। भारत का रुख है कि कश्मीर मसले पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं होगी।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय के इस कथन में भारत का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि वह मध्यस्थ नहीं चाहते।

भारत ने जम्मू-कश्मीर को अपना अभिन्न हिस्सा बताते हुए अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र सहित किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की बात को खारिज किया है। उसका कहना है कि यह पाकिस्तान और उसका द्विपक्षीय मामला है। अमेरिका के भारत के ‘आतंकवाद और वार्ता एकसाथ ना होने’ के रुख का समर्थन करने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि यह आवश्यक है कि पाकिस्तान ‘आतंकवाद के खिलाफ निरंतर और स्थायी कदम उठाए’। अधिकारी ने कहा कि वार्ता संभव है और अमेरिका परमाणु शक्ति से सम्पन्न दोनों देशों को इसके लिए प्रोत्साहित करेगा क्योंकि उनकी सीमाएं जुड़ी हैं।

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