पाकिस्तान में 34 साल पुराने मामले में जियो न्यूज ग्रुप के मालिक की गिरफ्तारी पर इमरान सरकार की हो रही चौतरफा निंदा

- पाकिस्तान के मीडिया दिग्गज मीर शकीलुर रहमान की गिरफ्तारी पर इमरान सरकार की हो रही है चौतरफा निंदा
- 34 साल पुराने मामले में पाकिस्तान की नैशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने रहमान को गुरुवार को अरेस्ट किया था
- पत्रकारों, मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी को प्रेस की आजादी पर हमला बताया
- इमरान सरकार पर एनएबी के जरिए आलोचना और विरोध की आवाज को दबाने के लग रहे हैं आरोप
इस्लामाबाद
पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने एक 34 साल पुराने मामले को लेकर देश के मशहूर मीडिया दिग्गज को गिरफ्तार किया है। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले उर्दू अखबार जंग और वहां के लोकप्रिय टीवी न्यूज चैनल जियो ग्रुप के मालिक व एडिटर इन चीफ मीर शकीलुर रहमान की गिरफ्तारी की गूंज पाकिस्तानी संसद में भी सुनाई दी। विपक्ष ने इसे मीडिया की आवाज को दबाने की कोशिश करार दिया है। 2 पूर्व प्रधानमंत्रियों शाहिद खाकान अब्बासी और रजा परवेज अशरफ ने पाकिस्तानी संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए गिरफ्तारी की निंदा की और इमरान सरकार से NAB का दुरुपयोग न करने की नसीहत दी।
किस आरोप में हुई गिरफ्तारी
मीर शकीलुर रहमान पर आरोप है कि उन्होंने 1986 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ से लाहौर के पॉश इलाके में ‘कौड़ियों के दाम पर प्लॉट’ हासिल किए थे। डॉन न्यूजपेपर ने एनएबी के एक अधिकारी के हवाले से छापा है कि रहमान को लाहौर डिवेलपमेंट अथॉरिटी की लैंड एक्जेंप्शन पॉलिसी के तहत 4 एकड़ जमीन मिलनी थी लेकिन उन्होंने 13 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कब्जा किया हुआ था। एनएबी का कहना है कि यह राजनीतिक रिश्वत की तरह है।
रहमान ने आरोपों को किया खारिज
रहमान ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्हें शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया था जहां से उन्हें एनएबी की कस्टडी में भेज दिया गया। उनके मीडिया ग्रुप का कहना है कि 34 साल पहले वह संपत्ति एक निजी पक्ष से खरीदी गई थी और इसके सभी सबूत एनएबी को दिए भी गए थे। इसमें सभी टैक्स और अन्य चार्जेज का भी भुगतान किया गया था। मीडिया ग्रुप का कहना है कि इसके बावजूद एजेंसी ने प्रधान संपादक को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी की हो रही चौतरफा निंदा
रहमान की गिरफ्तारी की पाकिस्तान में चौतरफा निंदा हो रही है। विपक्षी दलों के साथ-साथ पत्रकार संगठनों, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की तरफ से इसकी निंदा हो रही है। तमाम लोगों ने एनएबी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उसकी ईमानदारी पर शक जाहिर किया है। लोग कह रहे हैं कि सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने वाले लोगों को एनएबी के जरिए फंसाया जा रहा है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने रहमान की गिरफ्तारी पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की है। तमाम पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे प्रेस की आजादी और राजनीतिक असहमति को दबाने वाला कदम करार दिया है।