दरगाह हो या मंदिर… अवरोधक है तो चलेगा बुलडोजर!

दरगाह हो या मंदिर… अवरोधक है तो चलेगा बुलडोजर!

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी व्यक्ति का किसी अपराध में आरोपित या दोषी होना उसकी संपत्ति को बुलडोजर से गिराने का आधार नहीं बन सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि देशभर में इस मुद्दे पर दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे, लेकिन अवैध निर्माण और अतिक्रमण को कोई संरक्षण नहीं दिया जाएगा।

  1. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपितों की संपत्ति ढहाने और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाए जाने के आरोप वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है और निर्णय सुरक्षित रखते हुए निजी संपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक जारी रखी है। हालांकि, सरकारी भूमि और सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई पर कोई रोक नहीं है।
  2. अदालत ने कहा कि चाहे वह धार्मिक स्थल हो या अन्य किसी प्रकार का अवैध निर्माण, अगर वह सड़क के बीच में है तो उसे हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह जनता की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि अवैध निर्माण, चाहे किसी भी धर्म का हो, उसे हटाया जाना चाहिए।
  3. कोर्ट ने यह भी कहा कि देश धर्मनिरपेक्ष है और दिशानिर्देश किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के लिए होंगे। यह बयान तब आया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक विशेष समुदाय को निशाना बनाए जाने का दावा किया है, जो गलत है।
  4. तुषार मेहता ने बताया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अपराधियों के खिलाफ नहीं, बल्कि अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि निर्माण संबंधी कानूनों का उल्लंघन करने पर ही कार्रवाई होती है।
  5. मेहता ने सुझाव दिया कि किसी संपत्ति पर ध्वस्तीकरण से पहले 10 दिन का रजिस्टर्ड नोटिस भेजा जाना चाहिए, ताकि विवाद से बचा जा सके। कोर्ट ने इस सुझाव पर सहमति जताते हुए कहा कि नोटिस में उल्लंघन किए गए कानून का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
  6. याचिकाकर्ता के वकील सीयू सिंह ने कहा कि बुलडोजर का उपयोग अपराध रोकने के नाम पर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि कई बार अपराध के आरोपियों की संपत्तियां बिना उचित प्रक्रिया के गिरा दी जाती हैं, जैसे कि गुजरात और उत्तर प्रदेश के हालिया मामलों में हुआ।
  7. जस्टिस गवई ने कहा कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई से पहले 10 से 15 दिन का नोटिस देना आवश्यक है, ताकि परिवार वैकल्पिक व्यवस्था कर सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि अवैध निर्माण के मामलों में कोर्ट को सावधानीपूर्वक काम करना चाहिए और जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए।
  8. अंत में, कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई पर कोई रोक नहीं होगी, लेकिन इसे उचित कानूनी प्रक्रिया के अनुसार ही किया जाना चाहिए।

 


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