भीमा कोरेगांव केस: गौतम नवलखा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
- भीमा कोरेगांव जातीय हिंसा मामले में गौतम नवलखा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
- पुणे की एक अदालत ने मंगलवार को खारिज की नागरिक अधिकार कार्यकर्ता नवलखा की याचिका
- माओवादियों से संपर्क रखने के आरोपों का सामना कर रहे हैं गौतम नवलखा
पुणे
महाराष्ट्र में पुणे की एक अदालत ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव जातीय हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। बीते शुक्रवार को अदालत ने मामले में फैसला 12 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसआर नवन्दर ने माओवादियों से संपर्क रखने के आरोपों का सामना कर रहे नवलखा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की थी। साथ ही पुलिस को फैसला आने तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था।
गौतम नवलखा ने मंगलवार को सत्र अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिल्ली में रहने वाले कार्यकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया था और उनसे राहत पाने के लिए पुणे की सत्र अदालत का रुख करने को कहा था। नवलखा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने वाले बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति पीडी नाइक ने सत्र अदालत से नवलखा की याचिका पर सुनवाई कर जल्द फैसला लेने को कहा था।
पुणे पुलिस के अनुसार, 31 दिसंबर 2017 एलगार परिषद की सभा के दौरान भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके चलते जिले में अगले दिन (एक जनवरी 2018) को भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जातीय हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का दावा है कि सभा को माओवादियों का समर्थन हासिल था। इस मामले में जून और अगस्त में लेफ्ट की ओर झुकाव रखने वाले कई कार्यकर्ताओं और लेखकों को गिरफ्तार किया गया था।