अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले लोगों में आशंकाएं, कुछ ने जमा किया राशन, प्रशासन अलर्ट
शादियां भी कैंसल कर रहे लोग
कुछ लोग तो शादियां कैंसल कर रहे हैं और कुछ विवाह स्थल जिले के बाहर शिफ्ट करने में जुटे हैं। सैयदवाड़ा में अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है। यहां मंदिर और हिंदू परिवारों के भी घर हैं। इसी इलाके में रहने वाले एक अधेड़ उम्र के दर्जी ने बताया, ‘वे (स्थानीय निवासी) आपस में बात करते हैं कि इस बार सैयदवाड़ा में हिन्दू समुदाय को निशाना बनाया जाएगा। यह काफी चिंता की बात है।’
यहीं से कुछ दूर घनश्याम दास गुप्ता की दुकान है। वह तीन पीढ़ी से विख्यात हनुमान गढ़ी मंदिर के बाहर लड्डू बेचते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने जरूरी इंतजाम कर लिए हैं और घर के लिए चावल, दालें आदि जमा कर ली हैं।’ उमर फारुक जो रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में एक पक्षकार भी हैं, ने कहा कि उन्होंने सब देख लिया है- 1990 की हिंसा, 1992 में बाबरी मस्जिद का गिराना और उसके बाद का सारा घटनाक्रम, 2010 में हाईकोर्ट के फैसले के वक्त का तनाव का माहौल और जब पिछले साल शिवसेना अयोध्या पहुंची थी।
उन्होंने आगे कहा, ‘इन सबके बावजूद अयोध्या के लोगों को एक-दूसरे से कभी परेशानी नहीं हुई। परेशानी तब होती है जब भीड़ बाहर से आती है। हमारे लिए वह चिंता का विषय होता है।’ जिला प्रशासन ने इस बीच विभिन्न समुदाय के नेताओं के साथ शांति बैठकें की हैं। इसके साथ ही वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाए गए हैं जिसके जरिए हालात का रीयल टाइम जायजा लिया जाएगा और साथ ही आपातकालीन स्थिति में जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त सुरक्षाबल भी तैनात किए जा सकेंगे।
जिला प्रशासन अलर्ट, बैठकों का दौर
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर में हिंदू महंतों और मुस्लिम इमाम के साथ कई बैठकें की गई हैं। इनमें लोगों की चिंताओं पर तवज्जो दी गई है, साथ ही सुरक्षा का आश्वासन भी दिया गया है।
लोगों को डरने की जरूरत नहीं
झा ने कहा, हमने मुसलमानों को आश्वस्त किया है कि सभी संवेदनशील इलाकों, जिनमें मुस्लिम बहुसंख्या वाले और मिलीजुली आबादी वाले इलाके भी शामिल हैं, का सर्वे पहले ही किया जा चुका है और हम फैसले से पहले उन इलाकों में सुरक्षाबलों की तैनाती कर देंगे। लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। हमारा लक्ष्य पूरे अयोध्या में शांति और सुरक्षा का माहौल बनाए रखना है।
लोगों को याद आ रहा 1992
हालांकि चिंता का माहौल अब भी कायम है। अक्टूबर में मुस्लिम समुदाय ने अपनी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए विवाद में एक अन्य पक्षकार हाजी महबूब के घर एक बैठक की। इसमें बात हुई कि जब 2010 में हाईकोर्ट का फैसला आया था तब सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। अगर इस बार भी वैसे ही बंदोबस्त हों तो सब ठीक रहेगा। लेकिन लोगों के बीच फिर भी डर है। कुछ अभी तक 1992 को भूले नहीं हैं।
अयोध्या के होटल मालिक भी इस बात से सहमत होते नजर आ रहे हैं। पवन सिंह, जो हनुमान गढ़ी से कुछ ही दूरी पर स्थित बिरला धर्मशाला के मैनेजर हैं, ने कहा, ‘लोग न सिर्फ नवंबर और दिसंबर बल्कि अगले साल फरवरी तक अपनी बुकिंग कैंसल करवा रहे हैं। अयोध्या में जिंदगी की रफ्तार पर असर तो पड़ा है।’