भारत के 59 ऐप बैन करने से चीनी कंपनियों की वैश्विक महत्‍वाकांक्षाओं को करारा झटका

भारत के 59 ऐप बैन करने से चीनी कंपनियों की वैश्विक महत्‍वाकांक्षाओं को करारा झटका

 

  • भारत सरकार के 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने से उनके राजस्‍व पर बहुत ज्‍यादा असर नहीं
  • हालांकि इंटरनेट की दुनिया पर राज करने की महत्‍वाकांक्षा रखने वाली इन कंपनियों को झटका लगा
  • चीन के जिन ऐप पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें सबसे बड़ी चीनी टेक्‍नॉलजी कंपनियां शामिल हैं
  • चीनी कंपनियों के खिलाफ अब भारत के नक्‍शे कदम पर दुनिया के अन्‍य देश भी चल सकते हैं

माधव चंचानी, बेंगलुरु
भारत सरकार के 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से भले ही उनके राजस्‍व पर बहुत ज्‍यादा असर न पड़े लेकिन इंटरनेट की दुनिया में राज करने की महत्‍वाकांक्षा रखने वाली इन कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। चीन के जिन ऐप पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें सबसे बड़ी चीनी टेक्‍नॉलजी कंपनियां जैसे अलीबाबा, बायटेडेंस, बाइदू, टेंसेंट, शाओमी, वाईवाई इंक और लेनेवो आदि शामिल हैं।

डिजिटल इकोनॉमी पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि इन चीनी कंपनियों के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि अब भारत के नक्‍शे कदम पर दुनिया के अन्‍य देश भी चल सकते हैं। अमेरिकी कंपनियों गूगल और फेसबुक से इतर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के देश कुछ ऐसे बाजार थे जहां पर चीनी कंपनियां अपने देश के अलावा सफलता के लिए दांव लगा रही थीं।

‘जीवन में एक इंच भी नहीं देना चीनी मानसिकता’
विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि चीन में कोई प्रतिस्‍पर्धा नहीं है, इसलिए वहां पर ये कंपनियां बहुत आसानी से विकसित हुईं और अरबों डॉलर की कमाई की। इस पैसे को उन्‍होंने व‍िश्‍वस्‍तर पर अपने पैर पसारने के लिए इस्‍तेमाल किया। इसके लिए चीनी कंपनियों ने या तो निवेश किया या अन्‍य देशों में अपनी सेवा शुरू की। चीनी निवेश से अपना बिजनस चला रहे एक स्‍टार्टअप के संस्‍थापक ने कहा कि चीनी मानसिकता यह है कि अपने जीवन में एक इंच भी नहीं दिया जाए।

स्‍टार्टअप के संस्‍थापक ने कहा, ‘सभी चीनी कंपनियां राजस्‍व कमाने के लिए संघर्ष कर रही हैं लेकिन उनके लिए दुनिया में भारत आखिरी महत्‍वपूर्ण विशाल उपभोक्‍ता बाजार है।’ एक अनुमान के मुताबिक भारत में वर्ष 2019 में टॉप 200 ऐप में 38 प्रतिशत चीन के हैं। चीनी ऐप भारत में विकसित ऐप के प्रतिशत 41 से मात्र कुछ ही पीछे थे। वर्ष 2018 में चीनी ऐप भारत से आगे थे। ऐप जैसे टिक टॉक, शेयर इट और शेंडर गूगल के एंड्रायड इकोसिस्‍टम में टॉप पर थे। एंड्रायड फोन भारत में 90 से 95 प्रतिशत हैं।

भारतीय लोगों ने 5.5 अरब घंटे टिक टॉक पर बिताए
उदाहरण के लिए भारत में वर्ष 2019 में भारतीय लोगों ने 5.5 अरब घंटे टिक टॉक पर बिताया था। यह वर्ष 2018 की तुलना में करीब 5 गुना ज्‍यादा है। भारत में फेसबुक भले ही सबसे आगे है जहां लोगों ने 25.5 अरब घंटे इस पर बिताए थे लेकिन नए यूजर के मामले में टिक टॉक बहुत तेजी से बाजी मार रहा था। सेंसर टॉवर डेटा के मुताबिक जनवरी में एपल के फोन और एंड्रायड फोन पर टिक टॉक को 323 मिलियन बार डाउनलोड किया गया था जो फेसबुक के 156 मिलियन से करीब दो गुना है। ऐप एन्‍नी की रिपोर्ट के मुताबिक जितना लोगों ने भारत में टिक टॉक पर समय बिताया, उतना 11 देश मिलकर बिताते हैं।

यह टिक टॉक की मूल कंपनी बायटेडेंस के लिए बेहद अहम है जो जल्‍द ही आईपीओ लाने जा रही है। बायटेडेंस के पास ही हेलो ऐप भी है जो दुनिया का सबसे मूल्‍यवान स्‍टार्टअप (100 अरब डॉलर ) है। ए‍क विश्‍लेषक ने कहा, ‘भारत एक मंथली एक्टिव यूजर वाला मार्केट है और राजस्‍व मार्केट नहीं है। यह कुछ हद तक फेसबुक की तरह से है। भारत में फेसबुक के सबसे ज्‍यादा एक्टिव यूजर हैं लेकिन अमेरिका की तुलना में भारत से होने वाली फेसबुक की आय बहुत कम है। इस तरह से भारत में अपना बाजार खोने के बाद चीनी कंपनियों के कुल कीमत कम हो सकती है।

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