‘हवस का पुजारी क्यों, हवस का मौलवी क्यों नहीं’: बाबा बागेश्वर का बयान और विवाद

‘हवस का पुजारी क्यों, हवस का मौलवी क्यों नहीं’: बाबा बागेश्वर का बयान और विवाद

छतरपुर: बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने सवाल उठाया कि “हवस का पुजारी” ही क्यों कहा जाता है, “हवस का मौलवी” क्यों नहीं? इस बयान के बाद धार्मिक हलकों में हंगामा मच गया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया और जो लोग इस पर आपत्ति उठा रहे हैं, वे इसे समझ नहीं पा रहे हैं।

धीरेंद्र शास्त्री का स्पष्टीकरण

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “मैंने किसी विशेष धर्म को निशाना बनाकर यह नहीं कहा। मेरा सवाल था कि सिर्फ हिंदू पुजारियों को ही निशाना क्यों बनाया जाता है, जबकि मौलवियों के बारे में ऐसे शब्द क्यों नहीं कहे जाते?” उन्होंने आगे कहा कि “सभी पुजारी गलत नहीं होते, फिर हर किसी को क्यों टारगेट किया जाता है?”

धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि उनके बयान का उद्देश्य किसी धर्म को अपमानित करना नहीं था, बल्कि समाज में प्रचलित दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाना था। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “हम जोड़ने की बात करते हैं, लेकिन कुछ लोग तोड़ने का काम करते हैं।”

इजरायल-फिलिस्तीन विवाद पर टिप्पणी

बाबा बागेश्वर ने इजरायल द्वारा आतंकवादी संगठनों पर की जा रही कार्रवाइयों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “जो आतंक फैलाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। हम हमेशा शांति और एकता की बात करते हैं, लेकिन जब आतंक की बात आती है तो सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”

देवी आराधना और महिलाओं के प्रति सम्मान

धीरेंद्र शास्त्री ने नवरात्रि के अवसर पर देवी आराधना पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “जब तक हम समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों का विरोध नहीं करेंगे और उन पर उठने वाली उंगलियों को नहीं तोड़ेंगे, तब तक देवी की आराधना का कोई मतलब नहीं है।”

मुस्लिम धर्मगुरुओं की प्रतिक्रिया

धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ी आपत्ति जताई है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना शहाबुद्दीन ने उनके बयान को नफरत फैलाने वाला करार दिया। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा, “धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हमेशा आपत्तिजनक बयान देते हैं। एक धार्मिक व्यक्ति होने के नाते उन्हें संयमित भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन वे उल-जुलूल बातें करते रहते हैं।”

उन्होंने कहा, “इस तरह के बयान न केवल धार्मिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि समाज में नफरत फैलाने का भी काम करते हैं। एक धर्मगुरु का कर्तव्य है कि वह ऐसी बातें करे जो समाज के लिए प्रेरणादायक हों, न कि विभाजनकारी।”

समाज में हो रही चर्चा

धीरेंद्र शास्त्री के इस बयान को लेकर समाज में दो अलग-अलग धारणाएं बन रही हैं। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कई धार्मिक संगठन और नेता इसे भड़काऊ और अनुचित मानते हैं।


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