लखनऊ : राजधानी लखनऊ में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण सड़कों की धूल है। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के शोध में यह तथ्य सामने आए हैं। इस रिपोर्ट में पाया गया कि पीएम-2.5 और पीएम-10 का सबसे बड़ा स्रोत सड़कों की धूल है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण का दूसरा बड़ा कारण सड़कों पर चल रहे वाहन हैं।
सड़कों की धूल बिगाड़ रही लखनऊ की आवो-हवा
- इंटरनेशनल डे आफ क्लीन एयर फार ब्लू स्काइज के मौके पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग एवं टेरी की ओर से गेनिंग स्ट्रेंथ टू काम्बैट एयर पल्यूशन विषय पर आयोजित कार्यशाला में यह रिपोर्ट पेश की गई।
- टेरी की रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ शहर में वायु प्रदूषण में पीएम-10 का 86 प्रतिशत उत्सर्जन सड़कों की धूल के कारण हो रहा है। छह प्रतिशत उत्सर्जन वाहनों से निकलने वाले धुएं से हो रहा है। निर्माण कार्य से पांच प्रतिशत व इंडस्ट्री की भूमिका तीन प्रतिशत है।
- इसी तरह पीएम-2.5 में 72 प्रतिशत हिस्सेदारी सड़कों के धूल की है। 20 प्रतिशत वाहनों से हो रहा है। चार प्रतिशत उद्योगों व तीन प्रतिशत निर्माण कार्यों के कारण यह हो रहा है।
- वायु प्रदूषण के लिए दोषी सल्फर डाइआक्साइड की सबसे अधिक 58 प्रतिशत मात्रा उद्योगों से आ रही है। वाहनों से यह 21 प्रतिशत आ रहा है। नाइट्रोजन आक्साइड का सबसे बड़ा कारक वाहन हैं।
- इस मौके पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने कहा कि धूल रोकने के लिए सड़कों का निर्माण एक किनारे से दूसरे किनारे तक करना होगा। दोनों किनारों पर कच्चा छोड़ने पर धूल ज्यादा उड़ती है।
- यदि बजट की कमी है तो किनारे घास लगाई जा सकती है। इससे 20 से 25 प्रतिशत प्रदूषण तत्काल घटाया जा सकता है। विभाग के सचिव आशीष तिवारी ने कहा कि सियोल, सिंगापुर, बीजिंग जैसे शहरों ने अपने यहां का वायु प्रदूषण घटा लिया है।
- वायु प्रदूषण के लिए समेकित कार्ययोजना बनाकर काम करना होगा। उत्तर प्रदेश ने भी इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। अंतिम सत्र में वायु प्रदूषण की रोकथाम में मीडिया की भूमिका पर चर्चा हुई।
ग्लोबल वार्मिंग है पूरे विश्व की समस्या
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग सिर्फ यूपी की ही समस्या नहीं है यह पूरे विश्व की समस्या है। इसे रोकने के लिए साझा प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि उद्योगों में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए उनका आधुनिकीकरण करना होगा।
वन मंत्री ने एमिशन इन्वेंट्री एंड सोर्स कंट्रीब्यूशन आफ एयर पाल्यूशन इन लखनऊ रिपोर्ट का विमोचन किया। कार्यशाला में टेरी की डीजी डा. विभा धवन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक ममता संजीव दुबे, टेरी स्कूल आफ एडवांस स्टडीज के कुलपति डा. प्रतीक शर्मा और आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा भी मौजूद थे।