काबुल। अफगानिस्तान में बिगड़े हालातों के बीच तालिबान ने मंगलवार को कहा कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं और इस्लामी कानून के अंतर्गत महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे। अफगानिस्तान में कब्जे के बाद तालिबान ने मंगलवार को पहली आधिकारिक प्रेस वार्ता की। तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान में हम कोई आंतरिक या बाहरी दुश्मन नहीं चाहते हैं। महिलाओं को काम करने और अध्ययन करने की अनुमति दी जाएगी और वो समाज में बहुत सक्रिय रहेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी सत्ता में इस्लामिक मान्यताओं के भीतर ही महिलाओं को रहना होगा।

मुजाहिद ने अपने बयान में कहा कि वे इस्लाम के आधार पर महिलाओं को उनके अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाएं स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में जहां जरूरत हो वहां काम कर सकती हैं और उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। अफगानिस्तान में महिलाओं को लेकर तालिबान का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है।

तालिबान के पहले के शासन में महिलाओं पर लगाए गए थे कई प्रतिबंध

बता दें कि तालिबान के 1996-2001 के शासन के दौरान अफगानिस्तान में शरीयत (इस्लामी कानून) लगाया गया था। तब तालिबान ने महिलाओं को काम करने से रोक दिया था। साथ ही तालिबानी शासन में लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं थी और महिलाओं को बाहर जाने के लिए बुर्का पहनना पड़ता था। इसके साथ ही तालिबान ने कई अन्य प्रतिबंध महिलाओं पर लगाए थे।

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद हालात बहुत खराब हैं। अफगान नागरिक समेत, विदेशी नागरिक भी अफगानिस्तान छोड़ने को मजबूर हैं। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई अन्य देश अपने-अपने राजनायिक, सैन्य कर्मी और नागरिकों को निकालने का काम शुरू कर दिया है। भारत ने अपने देश के नागरिकों को निकालने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।