जब न्यायाधीश को आया गुस्सा, बोले- पट्टी न्याय की देवी की आंखों पर बंधी है, जज की नहीं
जम्मू-कश्मीर के बिश्नाह क्षेत्र में दो साल पहले हत्या मामले की जांच पर कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है। जांच करने वाले अफसर के खिलाफ एसएसपी जम्मू को कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। साथ ही एक्शन टेकन रिपोर्ट भी मांगी गई है। पुलिस को मामले की दोबारा जांच करने और इसे एक महीने में पूरा करने के आदेश दिए गए हैं।
अतिरिक्त जिला जज ताहिर खुर्शीद ने मामले पर सुनवाई की। जज ने पुलिस की जांच में सात खामियों को उजागर करते हुए इस मामले की जांच को दोबारा करने के लिए कहा। जज ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि मृतक के सिर और शरीर पर चोटों के निशान थे, जिसका पता पोस्टमार्टम में भी चला, तो क्यों एफआईआर उसी समय दर्ज नहीं की गई।
एफएसएल की रिपोर्ट का एक साल इंतजार क्यों किया, जबकि मौत का कारण साफ था। जिन लोगों ने तीनों को वैन में शव ले जाते देखा, उनके बयान 164 में क्यों दर्ज नहीं किए। पुलिस ने मामले की सीडीआर क्यों चार्जशीट में शामिल नहीं, जबकि यह एक अहम सबूत है। क्यों उस वैन के दस्तावेज सीज नहीं किए गए, जिसमें मृतक के शव को लेकर जाकर फेंका गया।
कानून की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है, जज अंधा नहीं है
सुखविंदर ने पुलिस जांच में बताया कि मृतक विनोद और वह हेरोइन की कारोबार करते थे। एक दिन दोनों में बहस हुई और उसने विनोद को मार दिया। बाद में मैने अपने दो दोस्तों को बुलाया और वैन में डालकर मृतक को नहर में फेंक दिया।
जज ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच अधिकारियों को एक बात याद रखनी चाहिए कि न्यायपालिका में कानून की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी होती है। लेकिन जज अंधा नहीं है। जो अभियोजन के पेश सामग्री को देखने के लिए बैठा है कि क्या सही है और क्या गलत। इस तरह की जांच से ही अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं।
सब अफसर कठघरे में खड़े: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच करने वाले तमाम अफसरों ने इस मामले की जांच लापरवाही की है। शव को बरामद करने से लेकर अब तक जो भी कार्रवाई की गई। उसमें अफसरों ने ड्यूटी सही से नहीं की। दो साल एक हत्या मामले की जांच में लगा दिए और जांच भी घटिया किस्म की की। यदि पुलिस की जांच का यहीं स्टैंडर्ड है तो वो दिन दूर नहीं, जब आम लोगों का पुलिस से विश्वास उठ जाएगा। लोग अपना बदला लेने के लिए कानून को हाथ में ले लेंगे।