वीआरएस पूरा पैकेज, इससे ज्यादा लाभ की मांग बेमानी : सुप्रीम कोर्ट

वीआरएस पूरा पैकेज, इससे ज्यादा लाभ की मांग बेमानी : सुप्रीम कोर्ट

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सेवानिवृत्ति और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति में फर्क, दोनों एक समान लाभ के हकदार नहीं
  • शीर्ष कोर्ट ने बदला हाईकोर्ट का फैसला, कहा- अतिरिक्त लाभ और सुविधा की मांग दुर्भाग्यपूर्ण और बेजा है
  • उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी आईएफसीआई से स्वैच्छिक सेवानिृवत्ति लेने वाले कर्मचारियों के मामले में की

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) कंप्लीट पैकेज होता है। कर्मचारियों द्वारा इसके अतिरिक्त लाभ और सुविधा की मांग करना दुर्भाग्यपूर्ण और बेजा है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने कहा, सेवानिवृत्ति और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति में अंतर है। जो लाभ कार्यकाल पूरा होने पर सेवानिवृत्त लोगों को मिलता है वही, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वालों को नहीं मिल सकता।

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शीर्ष कोर्ट ने कहा, जब कर्मचारी मर्जी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते हैं तो वे नियोक्ता से संबंध खत्म करते हैं न कि उनका कार्यकाल पूरा होता है। फैसला वे पूरे होशो-हवास में लेते हैं न कि उन पर यह थोपा जाता है।

उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नफे-नुकसान का भलीभांति पता होता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी आईएफसीआई से स्वैच्छिक सेवानिृवत्ति लेने वाले कर्मचारियों के मामले में की है। कोर्ट ने कहा, वीआरएस, आर्थिक पैकेज है और पेंशन उसका हिस्सा है। इसके साथ ही कोर्ट ने आईएफसीआई के हक में फैसला सुनाते हुए वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को अन्य लाभ देने से इनकार कर दिया।

शीर्ष कोर्ट ने बदला हाईकोर्ट का फैसला

भारत सरकार के उपक्रम आईएफसीआई के कुछ कर्मचारियों ने वीआरएस-2008 के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। इन कर्मचारियों ने बाद में पेंशन में हुए संशोधन के आधार पर अपना दावा ठोका। दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने फरवरी 2017 में कर्मचारियों की याचिका खारिज कर दी।

इन लोगों ने इस आदेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी, जहां जनवरी, 2019 में फैसला उनके हक में आया। इस फैसले को आईएफसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आईएफसीआई की अपील स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया।


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