माॅ वैष्णोदेवी सरस्वती शिशु मन्दिर जुनियर हाईस्कूल में किया गया विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन

- स्कूल प्रांगण में लगे झुले में दो बच्चीयों के साथ झुला झुलती महिला
देवबंद [24CN] : विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित भगत मुलखराज माॅ वैष्णोदेवी सरस्वती शिशु मन्दिर जुनियर हाईस्कूल में अभिभावको की निम्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रतियोगिताओं में देशभक्ति गीत, भजन, मेंहदी, राखी मेकिंग, वेश प्रतियोगिता (महापुरूष, विरांगनाएं) नृत्य आदि प्रतियोगिता शामिल रही।
प्रतियोगिता का प्रारंभ माॅ सरस्वती, ओऊम, भारत माता के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया गया। प्रधानाचार्य मनोज कुमार शर्मा ने विद्यालय में आये अतिथियों का स्वागत किया। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डा0 कान्ता त्यागी, डोली गोयल, व मंजू शर्मा रही। गीत प्रतियोगिता में प्रवेश प्रथम, रश्मि द्वितीय एंव सलोनी तृतीय, नृत्य में निशिका प्रथम, इश्किा द्वितीय व सुरभि तृतीय, वेश प्रतियोगिता में सरिता गुप्ता प्रथम, मुस्कान द्वितीय व अवनी तृतीय, मेंहदी में पूजा प्रथम, शालिनी द्वितीय व आयुषी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम में पूजा, आरती, दिपिका, अर्चना, अपूर्वा, साक्षी, गीतिका, सविता, अंजली, आंचल, खुशी, रूपा सहित विद्यालय का स्टाफ सुनीता, सरिता, नीना, वीना, भारती, निर्जेशजीव आदि उपस्थित रही।
त्यौहारो पर उमंग और उत्साह नही बल्कि हो रही मात्र रस्म अदायेगी: श्रीमती शुभलेश शर्मा’
हरियाली तीज के अवसर पर भाजपा नेत्री शुभलेश शर्मा ने कहा कि पहले बदलते सामाजिक परिवेश और गिरते सामाजिक स्तर के ने त्योहारों का रंग फीका कर दिया है और रही सही कसर वैश्विक महामारी कोरोना ने पुरी कर दी है। अब किसी भी त्योहार पर पहले जैसा आस्था, उत्साह और प्रेम नहीं रहा है बल्कि त्यौहारो की रस्म अदायगी हो रही है। देवीकुड से लेकर गांव देहात तक तीज के दिन झूले पड़ते थे जिन पर महिलाये और युवतीयां तीज के गीत गाते हुए झुलती थी। उन्होने कोरोना के कारण हिन्दू मंदिर जीर्णोद्धार समिति द्वारा देवीकुड तीज मेला स्थगित करने का स्वागत करते हुए कहा कि यह समिति द्वारा बीमारी को देखते हुऐ सही कदम उठाया है। सोनिया पाल ने कहा कि तीज के अवसर पर सहेलियों संग झुले का आनंद लेना रोमांचित कर देता था। महिलाओं को बड़ी बेसब्री से इस दिन का इंतजार रहता है, पर कोरोना के कारण तीज मेला स्थगित होने और सामूहिक रूप से झूला ना झूलने से महिलाओं के मनो में निराशा है।