जेलों में महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र सुनाने पर उलमा को एतराज
- बोलेः जेलों में नई व्यवस्था हिंदुस्तान के सेक्यूलिरिज्म के खिलाफ
देवबंद [24CN]: उत्तर प्रदेश की जेलों में बंदियों का व्यवहार और मनोदशा बदलने के लिए महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र का पाठ सुनाने के सरकारी फरमान पर उलमा ने एतराज जताया है। उलमा का कहना है कि यह सेक्यूलिरिज्म के खिलाफ है। क्योंकि जेलों में एक ही धर्म के बंदी बंद नहीं हैं।
फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि कारागार और होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जेल में बंदियों में बदलाव के लिए जो नई व्यवस्था शुरु कराई है, यह हिंदुस्तान के सेक्यूलिरिज्म के खिलाफ है। क्योंकि हमारा संविधान सभी को अपने मजहब के मुताबिक जिंदगी जीने का अधिकार देता है। ऐसे में अगर किसी जेल में सरकार की तरफ से ऐसे मंत्र जो किसी खास मजहब का खास हिस्सो हो उसको सुनाया जाए या पढ़ाया जाए तो यह उन अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जेलों में एक ही धर्म के बंदी नहीं होते। ऐसे में इस तरह की व्यवस्था कराया जाना उचित नहीं है। बता दें कि कारागार और होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति के आदेश पर बंदियों की मनोदशा बदलने के लिए सुबह की दिनचर्या शुरु होने से पहले और शाम को सोने से पहल पब्लिक एड्रेस सिस्टम से गायत्री व महामृत्युंजय पाठ सुनाया जाएगा। यह व्यवस्था शुक्रवार से आगरा जेल में लागू की गई है