खुलासा: कनाडा की लैब से चीन भेजे गए वायरस के जेनेटिक मैटेरियल, दो वैज्ञानिकों को हटाया

कोरोना वायरस को लेकर चारों तरफ से घिरे चीन के साथ अब कनाडा पर भी अंगुलियां उठने लगी हैं। कनाडा की सरकारी संस्था ‘एक्सेस टू इनफॉरमेशन एंड प्राइवेसी’ (एटीआईपी) के दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि देश के नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लैब से जानलेवा पैथोजन को चीन के वुहान स्थित लैब भेजा गया था। इसमें अलग-अलग वायरस के पंद्रह स्टेन के दो-दो वॉयल थे।

इस खुलासे के बाद डॉ. झिंझियांग क्यू और उनके पति डॉ. केडिंग चेंग और चीन के छात्रों को कनाडा की लेवल फोर लैब से हटा दिया गया। कनाडा के स्वास्थ्य विभाग और पीएचएसी के प्रवक्ता एरिक मॉरिससेट का कहना है कि प्रशासनिक जांच का चीन को भेजे गए वायरस से कोई संबंध नहीं है।

उन्होंने बताया कि 2019 में इबोला और निपाह वायरस का सैंपल वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के आवेदन पर वैज्ञानिक कार्यों और शोध के लिए दिया गया था। इसमें किसी भी तरह की कोई साजिश नहीं है।

पुलिस ने शुरू की जांच, चीन का हो सकता है षड्यंत्र
पब्लिक हेल्थ एजेंसी ऑफ कनाडा (पीएचएसी) ने रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) को इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा, जिसके बाद जांच शुरू हुई। हालांकि दोनों वैज्ञानिकों के निष्कासन के करीब एक साल गुजर चुके हैं, लेकिन अब तक जांच अधूरी है। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ स्पष्ट होगा। इसी रवैये को लेकर कनाडा के वैज्ञानिकों को आशंका है कि कहीं ये सब चीन का एक षड्यंत्र तो नहीं।

…ताकि चीन वायरसों को अधिक जानलेवा बना सके, चीनी सेना से सीधा संबंध

यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा के कानूनविद और महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. आमिर अट्टारन ने कहा, हमें पता है कि चीनी वैज्ञानिकों ने जानलेवा वायरस जहां भेजने थे भेज दिए। वायरसों की कई प्रजातियां भी भेजीं जिससे चीन उसे और अधिक जानलेवा और हानिकारक बना सके।  इसका सीधा संबंध चीन की सेना से था।

चीन को हथियार के रूप में इस्तेमाल से गुरेज नहीं
डॉ. अट्टारन का कहना है कि किसी पैथोजन या वायरस को लैब में ले जाकर उसका म्यूटेशन किया जाता है, जिससे वो अधिक घातक और संक्रामक हो सके। वुहान की लैब में ऐसा हो सकता है क्योंकि हमने इबोला और निपाह वायरस की आपूर्ति उसे की जो पूरी तरह गलत फैसला था। चीन वायरस का गलत या हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं करेगा।

वायरस बीजिंग पहुंचा तो आया धन्यवाद का संदेश

एटीआईपी के दस्तावेजों के अनुसार 31 मार्च 2019 को वायरस का पैकेज कनाडा के मालवाहक विमान से बीजिंग पहुंचा। इसके बाद पैकेज लेने वाले ने मेल से जानकारी दी कि उसे पैकेज सुरक्षित मिल गया है लेकिन मेल किसने लिखी उसका नाम नहीं था। इसी मेल में डॉ. क्यू और एंडर्स को भी धन्यवाद किया था।

मैं हतप्रभ कि कनाडा ने ऐसा किया
डॉ. अट्टारन ने कहा, मैं इस बात से हतप्रभ हूं कि कनाडा ने ऐसा किया। कनाडा सरकार ने वायरस का जेनेटिक मैटेरियल चीन को दिया। वे कहते हैं कि इबोला पर अध्ययन 2018 में प्रकाशित हुआ था और उसके तीन महीने पहले ही वायरस को चीन भेजा गया।

इसमें बीजिंग में स्थित चाइनीज मिलिट्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता भी शामिल थे। वे कहते हैं कि ये सब गतिविधियां षड्यंत्र की ओर इशारा करती हैं कि कोरोना के लिए कनाडा और वुहान की लैब मुख्य साजिशकर्ता हैं।

 


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