महाराष्ट्र में भाजपा : सगाई के बाद शादी टूटने से बचाने की कठिन चुनौती
22 नवंबर को रात में देवेन्द्र फडनवीस ने रात में दावा पेश किया, 23 नवंबर को सुबह पौने छह बजे राष्ट्रपति शासन हटा और आठ बजते-बजते फडनवीस ने मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। दोपहर तक एनसीपी प्रमुख शरद पवार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ प्रेसवार्ता में आए। पवार ने संख्या बल और एनसीपी के शिवसेना, कांग्रेस के साथ होने का दावा किया। डेढ़ बजे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल प्रेसवार्ता में सामने आए। उन्होंने कहा तीनों दल साथ हैं। भाजपा की सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती देंगे।
बड़ा सवाल: क्या सुहागरात के बाद हो जाएगा देवेन्द्र फडनवीस सरकार का तलाक?
सवाल मौजूं है। एनसीपी के प्रमुख शरद पवार अपने भतीजे अजीत पवार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का संकेत दे रहे हैं। एनसीपी के रणनीतिकारों के अनुसार पार्टी के पास कई अधिकार हैं। एनसीपी 30 नवंबर को विधानसभा में बहुमत साबित करने के दौरान व्हिप ला सकती है। इस व्हिप की अनुपालना एनसीपी के सभी विधायकों के लिए जरूरी हो जाएगी। न मानने पर वह दल बदल कानून के तहत आएंगे और विधायकों पर सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडराएगा। ऐसे में विधानसभा में स्पीकर की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी। ऐसे में भाजपा और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस के पास विधानसभा में बहुमत साबित करने की जटिल चुनौती है।
बहुमत साबित न कर पाई तो उड़ेगी भाजपा की खिल्ली
सोशल मीडिया पर भाजपा अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह को लेकर एक टिप्पणी ट्रेंड कर रही है। लोगों का कहना है कि कहीं भी सरकार बनवानी हो तो अमित शाह से संपर्क कीजिए। समझा जा रहा है कि 30 नवंबर तक यदि देवेन्द्र फडनवीस सरकार विधानसभा में बहुमत साबित न कर पाई तो पार्टी और इसके नेताओं की खिल्ली उड़नी तय है। इस राजनीतिक खिल्ली के दायरे में न केवल देवेन्द्र फडनवीस आएंगे, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर भी व्यंग की बौछार हो सकती है।
कर्नाटक से भाजपा ने क्या सीखा?
कांग्रेस पार्टी के पूर्व महासचिव बीके हरिप्रसाद कहते हैं कि कर्नाटक के पूरे एपिसोड से भाजपा ने लोकतंत्र के मूल्य का अपमान करके केवल सत्ता हासिल करना सीखा। हरिप्रसाद कहते हैं कि वहां विधायकों के तोडफ़ोड़ में पार्टी लगी रही। उच्चतम न्यायालय ने भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है। जो हुआ है, वह सबको पता है, लेकिन भाजपा का लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन नहीं है। अहमद पटेल ने महाराष्ट्र में भाजपा के प्रयास और राज्यपाल के कदम को लोकतंत्र के इतिहास का काला दिन बताया है। एनसीपी के एक नेता का कहना है कि भाजपा किसी भी तरह से सत्ता पाने में यकीन रखती है। शिवसेना के संजय राऊत ने इसे सत्ता का डाका की संज्ञा दी है। वहीं भाजपा के नेता कह रहे हैं कि सरकार बन गई तो है तो अब आगे सब ठीक हो जाएगा। सरकार पूरे पांच साल चलेगी।