तीस हजारी बवालः हाईकोर्ट ने कहा, वकील-पुलिस मिलकर निकालें हल 

तीस हजारी बवालः हाईकोर्ट ने कहा, वकील-पुलिस मिलकर निकालें हल 

वकील और पुलिस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मामूली मुद्दों को लेकर हुई झड़प का समाधान तभी निकल सकता है, जब दोनों पक्ष दोस्ताना रूप से साथ बैठकर मामले को सुलझाएं। इस दिशा में नेकनीयत से कदम उठाया गया तो अंतत: शांति और सद्भाव फिर से स्थापित होगा।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और सी हरिशंकर की पीठ ने तीस हजारी कोर्ट में बीते शनिवार वकील-पुलिस बवाल पर दिल्ली पुलिस की पुनर्विचार याचिका पर संज्ञान लेते हुए यह बात कही। पीठ ने गृह मंत्रालय की उस अर्जी का भी निपटारा कर दिया, जिसमें 3 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में हुए बवाल मामले में अदालत के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा गया था।

केंद्र ने उस आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा था, जिसमें न्यायिक जांच पूरी होने तक वकीलों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने के आदेश दिए गए थे। पीठ ने कहा कि उनका आदेश स्वयं में पूर्ण स्पष्ट है। यह आदेश केवल 2 नवंबर की घटना को लेकर दर्ज दो एफआईआर पर कार्रवाई के संबंध में है।

इस आदेश पर दिल्ली पुलिस की पुनर्विचार याचिका में कहा गया था कि उस आदेश में संशोधन किया जाना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि एक पुलिसकर्मी ने वकील पर फायरिंग की और दूसरे ने उसे जेल के लॉकअप में खींचा।

इस आरोप के आधार पर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए। इस आरोप के तहत वकील पर फायरिंग के लिए उत्तरी जिले के अतिरिक्त उपायुक्त हरेंदर कुमार और वकील पर लाठीचार्ज के लिए दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (लॉ एंड ऑर्डर) संजय सिंह को आरोपी बताया गया है।

पीठ ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए दिए गए आदेश प्रथम दृष्टया एवं अस्थायी हैं। मामले की न्यायिक जांच जारी है, इसलिए किसी आदेश में अभी संशोधन नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि इस आदेश को महज 3 नवंबर के आदेश के तौर पर देखा जाना चाहिए। इन तथ्यों को ऑनरिकॉर्ड साक्ष्यों के आधार पर सिद्ध किया जाना है।

पीठ ने हालात पर पीड़ा जताते हुए कहा कि हमारी लोकतांत्रिक राजनीति में बार, पुलिस का प्रतिनिधित्व और गठन, कानून के संरक्षक और रक्षक के तौर पर किया गया था। अब दोनों के उलझने से यह स्थिति पैदा हुई। इसलिए दोनों को मिल-जुलकर इस समस्या का हल निकालना चाहिए।


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