‘NRC के लिए आवेदन न करने वालों को नहीं मिलेगा आधार कार्ड’, असम सरकार का बड़ा फैसला
हमें अपने सिस्टम को करना होगा और मजबूत- सीएम सरमा
उन्होंने कहा, पिछले 2 महीने में असम पुलिस, त्रिपुरा पुलिस और BSP ने बड़ी संख्या में घुसपैठियों को पकड़ा है। यही कारण है कि बांग्लादेश से घुसपैठ हमारे लिए चिंता का विषय है। हमें अपनी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है और इसीलिए हमने आधार कार्ड तंत्र को सख्त बनाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर एनआरसी के लिए कोई आवेदन नहीं है, तो आधार अनुरोध को तुरंत खारिज कर दिया जाएगा और तदनुसार केंद्र को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा नियम
उन्होंने कहा, अगर यह पाया जाता है कि एनआरसी के लिए कोई आवेदन था, तो सीओ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार क्षेत्र-स्तरीय सत्यापन (field-level verification ) के लिए जाएंगे। अधिकारी के पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद, आधार को मंजूरी दी जाएगी।हालांकि, सरमा ने कहा कि यह नया निर्देश उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा, जो दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं और जिन्होंने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया है।
उन्होंने कहा, इस तरह, हम अपने आधार जारी करने की प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक सख्त तंत्र लागू करेंगे ताकि कोई भी संदिग्ध व्यक्ति यह पहचान पत्र न पा सके।
मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, राज्य सरकार प्रस्तुत दस्तावेजों का सत्यापन करेगी और प्राप्ति के 45 दिनों के भीतर उन्हें ऑनलाइन यूआईडीएआई को वापस कर देगी।
31 अगस्त, 2019 को अंतिम एनआरसी जारी की गई, जिसमें 19,06,657 लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए। कुल 3,30,27,661 आवेदकों में से 3,11,21,004 नाम शामिल किए गए।
कैबिनेट द्वारा लिए गए अन्य फैसलों पर सरमा ने कहा कि राज्य में छोटे भूमिधारकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए भूमि राजस्व स्वीकार करने की मैनुअल प्रणाली को फिर से शुरू किया गया है।
उन्होंने कहा, हमने पिछले साल सभी भूमि भुगतानों को डिजिटल बना दिया था। हालांकि, किसानों और कई गरीब भूमि मालिकों को ऑनलाइन करों का भुगतान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसलिए डिजिटल मोड के साथ-साथ मैनुअल प्रणाली भी जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने मिशन बसुंधरा 3.0 योजना के तहत ‘नामघर’ (वैष्णव अनुयायियों के लिए पूजा स्थल), धार्मिक प्रतिष्ठानों, क्लबों और अन्य केंद्रों जैसे सामाजिक संस्थानों के लिए भूमि आवंटन हेतु आवेदन की सुविधा के लिए सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत नवीकरण शुल्क में छूट को भी मंजूरी दी।
असम सरकार ने फरवरी में ‘मिशन बसुंधरा’ का तीसरा चरण शुरू किया, जिसके तहत स्थानीय समुदायों को भूमि अधिकार प्रदान करने के नियमों को आसान बनाया जाएगा, संगठनों को भूमि का स्वामित्व दिया जाएगा और धार्मिक संस्थानों से अधिग्रहित भूमि का निपटान किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ऐसे मामलों में पिछले तीन वर्षों के ऑडिट के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रमाण पत्र की आवश्यकता भी समाप्त कर दी गई है।