रोंगटे खड़े कर देगा मजदूर परिवार का यह वीडियो, घर पहुंचने के लिए बारी-बारी बन रहे ‘बैल’
- बैलगाड़ी से महाराष्ट्र से राजस्थान के लिए निकला मजदूर परिवार
- सफर के दौरान रास्ते में 1 बैल की मौत
- घर पहुंचने के लिए परिवार के सदस्य ही बारी-बारी बन रहे ‘बैल’
- वीडियो सोशल मीडिया पर है वायरल, अधिकारियों को जानकारी नहीं
इंदौर
लॉकडाउन के दौरान बेबसी की तस्वीरें देख रूह कांप जाती हैं। सड़कों पर बेबस मजदूरों का मेला लगा हुआ है। सबके अपने-अपने दर्द हैं, लेकिन सुनाएं तो किसे सुनाएं। इंदौर बाईपास का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। वायरल वीडियो में घर तक पहुंचने के लिए परिवार के लोग बैलगाड़ी खींच रहे हैं।
वायरल वीडियो के बारे में बताया जा रहा है कि इंदौर से सटे मंगलिया बाईपास का है। परिवार महाराष्ट्र से बैलगाड़ी के जरिए राजस्थान स्थित अपने घर जा रहा है। बैलगाड़ी से महाराष्ट्र के राजस्थान के लिए परिवार के 3 लोग निकले थे। रास्ते में 1 बैल की मौत हो गई। उसके बाद परिवार की मुश्किलें बढ़ गई। अब एक ही बैल के सहारे घर पहुंचना है।
घर पहुंचने के लिए बैलगाड़ी खींच रहा है मजदूर परिवारलॉकडाउन में फंसे मजदूर (workers family stuck in lockdown) बस किसी तरह से घर पहुंचना चाहते हैं। जान जोखिम में डालकर भी मजदूर सफर कर रहे हैं। इंदौर बाईपास (indore bypass) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें एक मजदूर परिवार (migrant workers family) बैल की मौत के बाद खुद ही बैलगाड़ी खींचकर (pulling bullock cart) घर पहुंचने की कोशिश कर रहा है।
बारी-बारी बन रहे हैं बैल
बैलगाड़ी को खींचने के लिए 2 बैलों की जरूरत होती है। ऐसे में परिवार के सदस्य बारी-बारी से बैल बनकर गाड़ी को खींच रहे हैं। चिलचिलाती धूप में बेबस मजदूर परिवार अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है। कभी पिता, कभी मां और कभी बेटा बैलगाड़ी को खींच रहा है। बेटा थकता है तो गाड़ी मां खींचती है, मां थकती है तो पिता खींचते हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र से पैदल या ऑटो से आ रहे मजदूर बिजासन बॉर्डर से मध्यप्रदेश में प्रवेश करते हैं। बिजासन बॉर्डर बड़वानी जिले में आता है। बड़वानी इंदौर संभाग में ही है।
वायरल वीडियो के बारे में इंदौर जिला प्रशासन के अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है। वीडियो आज का ही है। दरअसल, महाराष्ट्र से यूपी, बिहार और राजस्थान लोग इंदौर से होते हुए ही जाते हैं। सैकड़ों मजदूर तो पैदल आकर बिजासन बॉर्डर पर फंसे हैं। हालांकि सरकार की तरफ से उन्हें एमपी की आखिरी सीमा तक बसों से छोड़ने का वादा किया गया है।